Jharkhand: झारखंड में पहले चरण की 43 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को होने वाले चुनाव को लेकर एनडीए और इंडिया ब्लॉक के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। ये सीटें राज्य की राजनीतिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। 2019 के प्रदर्शन की बात करें तो झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने 25 सीटों पर जीती, भाजपा ने 13 सीटें, निर्दलीय ने 2 सीटें, एनसीपी और जेवीएम ने एक एक सीट अपने नाम की थी। इस बार एनडीए ने अपना स्कोर सुधारने के लिए काफी मेहनत की है। वहीं, इंडिया ब्लॉक भी अपनी पुरानी स्थिति को बरकरार रखते हुए कुछ सीटें जोड़ने की कोशिशों में जुटा हुआ है।
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चंपई सोरेन की चुनौती
झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कोल्हान प्रमंडल की राजनीति पर खास नजर है, क्योंकि इस क्षेत्र से जुड़ी सीटों पर कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, जिन्होंने हाल ही में झामुमो छोड़कर भाजपा का दामन थामा है, अपनी परंपरागत सीट सरायकेला से चुनाव लड़ रहे हैं।
मौजूदा समीकरण
चंपई सोरेन 1991 से 2019 तक सात चुनावों में छह बार विधायक चुने जा चुके हैं। केवल वर्ष 2000 के चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। इस बार उनकी सीधी टक्कर झामुमो के गणेश महली से है। महली ने पिछले दो चुनावों में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और इस बार वह झामुमो के टिकट पर मैदान में हैं।
रामेश्वर उरांव के सामने बड़ी चुनौती
झारखंड विधानसभा चुनाव में लोहरदगा सीट इस बार खासा चर्चा में है, जहां हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। रामेश्वर उरांव को लोहरदगा सीट पर आजसू पार्टी की नीरू शांति भगत से सीधी टक्कर मिल रही है। पिछले चुनाव में लोहरदगा सीट पर दोनों पार्टियों ने अपने अलग-अलग प्रत्याशी उतारे थे। इसका सीधा फायदा डॉ रामेश्वर उरांव को हुआ था। इस बार भाजपा-आजसू एक हैं। ऐसे में डॉ रामेश्वर उरांव के लिए सीट बचाना बड़ी चुनौती है।
गढ़वा पर त्रिकोणीय मुकाबला
झारखंड की हॉट सीट में गढ़वा का नाम भी आता है। इस सीट पर मंत्री मिथिलेश ठाकुर चुनावी मैदान में ताल ठोकर रही है। इस बार गढ़वा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है। बीजेपी के सत्येंद्र नाथ तिवारी और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार पूर्व मंत्री गिरिनाथ सिंह कड़ी चुनौती दे रहे है। आपको बता कि पूर्व में ये दोनों इस सीट से विधायक रहे हैं। इसके अलावा दोनों का अपने अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ है।
जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर मुकाबला बेहद रोचक
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर मुकाबला बेहद रोचक और हाई-प्रोफाइल बन चुका है। यहां कांग्रेस के मंत्री बन्ना गुप्ता का सामना जदयू के पूर्व मंत्री सरयू राय से हो रहा है। दोनों ही नेता इस सीट पर मजबूत राजनीतिक पकड़ रखते हैं, और यह सीट चुनावी राजनीति का केंद्र बन गई है। बन्ना गुप्ता हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री होने के कारण उन्हें सरकार के कामकाज का समर्थन और विरोध, दोनों का सामना करना पड़ सकता है। सरयू राय का क्षेत्र में व्यक्तिगत प्रभाव काफी मजबूत है।
चाईबासा सीट पर दीपक बिरुआ और गीता बलमुचू
चाईबासा सीट की बात करे तो झामुमो कोटे के मंत्री दीपक बिरुआ को भाजपा की गीता बलमुचू से मुकाबला होगा। गीता को बीजेपी ने पहली बार टिकट दिया है। हालांकि सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में लगातार सक्रियता की वजह से वह इलाके में जाना-पहचाना चेहरा माना जाता है।
घाटशिला सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में घाटशिला सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प बन चुका है। हेमंत सोरेन सरकार में हाल ही में मंत्री बनाए गए झामुमो विधायक रामदास सोरेन का सामना भाजपा के उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन से हो रहा है। हाल ही में मंत्री रामदास सोरेन (झामुमो) बनाए गए, जिससे उनकी पार्टी और सरकार की ओर से उन्हें मजबूत समर्थन मिल रहा है। बाबूलाल सोरेन (भाजपा) पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उनके साथ उनके पिता चंपई सोरेन की राजनीतिक विरासत और प्रभाव जुड़ा है।
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