Bihar Politics: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नई एनडीए सरकार के गठन के महज कुछ दिनों बाद ही गठबंधन के छोटे घटक दल राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) में भूचाल आ गया है। बुधवार को पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र नाथ, प्रदेश महासचिव सह प्रवक्ता राहुल कुमार समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने एक साथ पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। सभी ने पार्टी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा की कार्यशैली और हाल के संगठनात्मक फैसलों पर तीखा हमला बोला है।
Bihar Politics: नौ साल बाद भी नहीं बदली सोच – जितेंद्र नाथ
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र नाथ ने उपेंद्र कुशवाहा को संबोधित चार पन्ने के पत्र में लिखा, “मैं पिछले लगभग नौ वर्षों से आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहा हूं। लेकिन हाल के राजनीतिक और संगठनात्मक फैसलों से मैं खुद को जोड़ नहीं पा रहा। कई निर्णय एकतरफा और बिना विचार-विमर्श के लिए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में आपके साथ आगे चलना मेरे लिए संभव नहीं है। इसलिए मैं पार्टी की सभी जिम्मेदारियों व प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रहा हूं।”
Bihar Politics: विधानसभा चुनाव में उपेक्षा बनी बड़ी वजह
सूत्रों के अनुसार इस्तीफा देने वाले ज्यादातर नेता 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण और बाद की उपेक्षा से बेहद नाराज थे। पार्टी ने सिर्फ छह सीटों पर चुनाव लड़ा था और चार पर जीत हासिल की थी, लेकिन कई पुराने और मेहनती कार्यकर्ताओं को टिकट तक नहीं मिला। जीते हुए विधायकों को भी मंत्री पद नहीं दिया गया, जिससे असंतोष और बढ़ा।
Bihar Politics: शेखपुरा जिला कमिटी भंग करना पड़ा आखिरी ट्रिगर
इस्तीफों की इस श्रृंखला से ठीक एक दिन पहले रालोमो के प्रदेश अध्यक्ष मदन चौधरी के निर्देश पर शेखपुरा जिला कमिटी को अचानक भंग कर दिया गया था। इस फैसले से जिले के दर्जनों पदाधिकारी और कार्यकर्ता नाराज हो गए। कई नेताओं ने इसे “तानाशाही” करार दिया। इसी असंतोष की आग में घी डालते हुए अगले ही दिन राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने बगावत का बिगुल फूंक दिया।
Bihar Politics: प्रवक्ता राहुल कुमार ने भी दिखाया बाहर का रास्ता
प्रदेश महासचिव सह प्रवक्ता राहुल कुमार ने अपने इस्तीफे में लिखा, “पार्टी में लोकतांत्रिक मूल्य खत्म हो चुके हैं। एक व्यक्ति के इशारे पर सारे फैसले हो रहे हैं। मैं ऐसे माहौल में नहीं रह सकता।” राहुल कुमार लंबे समय से पार्टी के चेहरों में से एक थे और मीडिया में सक्रिय रहते थे।
Bihar Politics: एनडीए में कुशवाहा की स्थिति पर सवाल
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बगावत उपेंद्र कुशवाहा के लिए बेहद नुकसानदेह साबित हो सकती है। 2025 चुनाव में चार विधायक होने के बावजूद रालोमो को नीतीश कैबिनेट में जगह नहीं मिली। अब पार्टी के अंदरूनी कलह से उनकी सौदेबाजी की ताकत और कमजोर पड़ने की आशंका है।
Bihar Politics: कुशवाहा खेमे की सफाई
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “कुछ लोग व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के कारण पार्टी छोड़ रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा जी ने कोयरी समाज को मजबूत करने के लिए जीवनभर संघर्ष किया है। ऐसे लोग आएंगे-जाएंगे, पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।”
Bihar Politics: आने वाला वक्त बताएगा असली नुकसान
फिलहाल रालोमो में इस्तीफों का सिलसिला रुका नहीं है। कई जिलों से खबरें आ रही हैं कि और नेता पाला बदलने की तैयारी में हैं। उपेंद्र कुशवाहा के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती बनती जा रही है कि वे अपनी पार्टी को टूटने से बचा पाते हैं या नहीं। बिहार की सियासत में एक बार फिर साबित हो गया – गठबंधन की जीत के बाद अंदरूनी कलह शुरू होने में देर नहीं लगती।
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