Plane Crash: मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में गुरुवार को भारतीय वायुसेना का एक मिराज 2000 लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह हादसा नियमित प्रशिक्षण उड़ान के दौरान हुआ। हालांकि, राहत की बात यह रही कि दुर्घटना से पहले ही दोनों पायलट सुरक्षित रूप से विमान से बाहर निकल गए। इस हादसे में किसी भी तरह की जनहानि की खबर नहीं है, लेकिन विमान पूरी तरह जलकर खाक हो गया।
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कैसे हुआ हादसा?
प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, विमान में तकनीकी खराबी के कारण दुर्घटना हुई हो सकती है। भारतीय वायुसेना ने इस घटना की विस्तृत जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश जारी किए हैं। दुर्घटना के कारणों की विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद ही पुख्ता जानकारी मिल सकेगी। हादसे के तुरंत बाद, एयरफोर्स और स्थानीय प्रशासन की टीमों ने घटनास्थल पर पहुंचकर सुरक्षा घेरा बना लिया और स्थिति को नियंत्रित किया।
घटनास्थल पर जमा हुई भीड़
दुर्घटना के बाद मौके पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग इकट्ठा हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विमान के गिरते ही एक तेज धमाका हुआ और कुछ ही पलों में आग की लपटें उठने लगीं। आसपास के खेतों में विमान के टुकड़े बिखर गए। हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, दमकल विभाग और एयरफोर्स की टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गईं और इलाके को घेर लिया गया।
वायुसेना की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताएं
भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों की दुर्घटनाओं की संख्या में हाल के वर्षों में वृद्धि देखी गई है। रक्षा मामलों की स्थायी समिति की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2017 से 2022 के बीच वायुसेना के 34 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए। इनमें से 2018-19 में सबसे अधिक 11 दुर्घटनाएं दर्ज की गई थीं। 2021-22 में भी नौ दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जो चिंता का विषय है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इन दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में मानवीय भूल, तकनीकी खराबी, पक्षियों की टक्कर और अप्रत्याशित मौसम परिवर्तन शामिल रहे हैं। उदाहरण के लिए, दिसंबर 2021 में हुई एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर दुर्घटना में तत्कालीन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत सहित 12 अन्य लोगों की जान चली गई थी। जांच में पाया गया था कि यह हादसा अचानक मौसम परिवर्तन और पायलट के स्थानिक भ्रम के कारण हुआ था।
वायुसेना बेड़े का आधुनिकीकरण आवश्यक
मिराज 2000 भारतीय वायुसेना का एक प्रमुख बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है, जिसे 1980 के दशक में शामिल किया गया था। इस विमान ने 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसी महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि, यह विमान अब पुराना हो चुका है, और वायुसेना लगातार अपने बेड़े को आधुनिक तकनीकों से लैस करने की प्रक्रिया में है।
हाल ही में सरकार ने राफेल और तेजस जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण की प्रक्रिया को तेज किया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पुराने विमानों को धीरे-धीरे हटाकर नए और आधुनिक विमानों को शामिल करना आवश्यक है, ताकि इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
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