Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत के मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सख्त कार्रवाई की है। उन्होंने इस मामले में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के निदेशक गौरव चौधरी और एसडीओ फतेसिंह निनामा को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने वन विभाग को निर्देश दिया है कि मध्य प्रदेश में एक हाथी टास्क फोर्स का गठन किया जाए।
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हाथियों की सुरक्षा के लिए राज्य स्तरीय टास्क फोर्स होगा गठित
इस टास्क फोर्स का उद्देश्य हाथियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रभावी उपाय करना होगा, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों। मुख्यमंत्री ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की और वन विभाग को इस दिशा में त्वरित कदम उठाने के लिए कहा है।
10 हाथियों की मौत के बाद प्रदेश में मचा हड़कंप
बांधवगढ़ नेशनल पार्क में पिछले तीन दिनों में 10 हाथियों की मौत के बाद प्रदेश में हड़कंप मच गया है। इस गंभीर घटना के मद्देनजर, 1 नवंबर को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अधिकारियों की एक आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन वर्चुअल रूप से शामिल हुए, जबकि अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्णवाल, और अन्य उच्च अधिकारी मुख्यमंत्री निवास में उपस्थित रहे।
सीएम मोहन यादव ने ली आपातकालीन बैठक
बैठक के दौरान, हाथियों की मौत के कारणों की जांच और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक उपायों पर चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने इस घटना की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया, जिसमें निलंबन और हाथी टास्क फोर्स का गठन शामिल है। यह कार्रवाई हाथियों के संरक्षण और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
दोषी अधिकारियों का निलंबन
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाथियों की मौत की इस बड़ी घटना के संदर्भ में गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि फील्ड डायरेक्टर गौरव चौधरी का अवकाश पर रहना और हाथियों के दल आने के संदर्भ में आवश्यक सतर्कता न बरतना लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है। इसी लापरवाही के लिए गौरव चौधरी को निलंबित किया गया है। इसके साथ ही, प्रभारी एसीएफ फतेह सिंह निनामा को भी निलंबित किया गया है।
हाथियों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बांधवगढ़ क्षेत्र और अन्य वन क्षेत्रों में हाथियों की अनुकूल आवास स्थितियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों का उत्कृष्ट प्रबंधन होने के कारण हाथियों के दल, जो पहले छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों से आते थे, अब यहां स्थायी रूप से रहने लगे हैं। इससे यह स्थिति उत्पन्न हो गई है कि बड़ी संख्या में हाथी इन क्षेत्रों में डेरा डाल रहे हैं, जो मध्य प्रदेश के वन विभाग की गतिविधियों का हिस्सा बन चुके हैं।
प्रदेश के अधिकारी कर्नाटक, केरल और असम जाकर करेंगे अध्ययन
इस संदर्भ में, हाथियों की आवाजाही को देखते हुए स्थायी प्रबंधन के लिए शासन स्तर पर एक हाथी टास्क फोर्स बनाने का निर्णय लिया गया है। यह टास्क फोर्स हाथियों को अन्य वन्य प्राणियों के साथ सुरक्षित रहने के उपायों की योजना बनाएगी। इसमें कर्नाटक, केरल और असम जैसे राज्यों की सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को शामिल किया जाएगा, ताकि हाथियों के संरक्षण और उनके स्वाभाविक निवास स्थान की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।