Indore Hospital: मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, इंदौर के महाराजा यशवंतराव (एम.वाय.) अस्पताल में नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में चूहों के काटने से दो नवजात शिशुओं की मौत के मामले ने देशभर में हड़कंप मचा दिया है। इस घटना को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने गंभीरता से लेते हुए इंदौर जिला कलेक्टर को नोटिस जारी किया है, जिसमें तीन दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। यह कदम जन स्वास्थ्य अभियान (जेएसए) की शिकायत के आधार पर उठाया गया है, जिसमें अस्पताल की लापरवाही और सुरक्षा मानकों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
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Indore Hospital: चूहों के काटने से नवजातों की मौत
पिछले सप्ताहांत, एम.वाय. अस्पताल के एनआईसीयू में भर्ती दो नवजात शिशुओं को चूहों ने काट लिया। एक शिशु के हाथ और दूसरे के सिर व कंधे पर चूहों के काटने के निशान पाए गए। दोनों शिशु जन्मजात बीमारियों से पीड़ित थे और कम वजन (1.2 किग्रा और 1.6 किग्रा) के कारण पहले से ही नाजुक हालत में थे। मंगलवार (2 सितंबर, 2025) को एक शिशु की मृत्यु निमोनिया और अन्य जटिलताओं के कारण हुई, जबकि दूसरा शिशु बुधवार (3 सितंबर, 2025) को सेप्टिसीमिया (रक्त संक्रमण) के कारण चल बसा। अस्पताल प्रशासन ने दावा किया कि दोनों मौतें जन्मजात बीमारियों और संक्रमण के कारण हुईं, न कि चूहों के काटने से। हालांकि, परिजनों और कार्यकर्ताओं ने इन मौतों को अस्पताल की लापरवाही से जोड़ा है।
Indore Hospital: एनसीपीसीआर का सख्त रुख, बाल अधिकारों का उल्लंघन
एनसीपीसीआर ने इस घटना को बाल अधिकारों और अस्पताल सुरक्षा प्रोटोकॉल का गंभीर उल्लंघन माना है। जन स्वास्थ्य अभियान (जेएसए) मध्य प्रदेश के अमूल्य निधि, डॉ. जी.डी. वर्मा, वसीम इकबाल और सुधा तिवारी ने आयोग से स्वतंत्र जांच, एनआईसीयू में तत्काल सुरक्षा उपाय, और अस्पताल अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की मांग की है। जेएसए ने राज्यव्यापी स्तर पर नवजात और बाल चिकित्सा वार्डों में कीट-नियंत्रण और संक्रमण-रोकथाम प्रणालियों का ऑडिट कराने की भी मांग उठाई है। आयोग ने नोटिस की प्रति जेएसए को भेजते हुए कलेक्टर से त्वरित कार्रवाई की अपेक्षा जताई है।
Indore Hospital: राज्य सरकार का एक्शन, जांच और सजा
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें आयुष्मान भारत के मुख्य प्रशासकीय अधिकारी योगेश भरसत और गांधी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ शामिल हैं। समिति ने गुरुवार को अस्पताल का दौरा कर नर्सों, डॉक्टरों और प्रशासनिक कर्मचारियों के बयान दर्ज किए। अस्पताल ने प्रारंभिक कार्रवाई के तहत नर्सिंग अधीक्षक को हटा दिया, दो नर्सिंग अधिकारियों को निलंबित किया, और कीट-नियंत्रण एजेंसी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। साथ ही, एजेंसी को नोटिस जारी कर ब्लैकलिस्ट करने की चेतावनी दी गई है।
विपक्ष का हमला, लापरवाही को हत्या करार
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस घटना को “सीधी हत्या” करार देते हुए केंद्र और राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, यह लापरवाही नहीं, बल्कि सरकारी अस्पतालों को मौत का अड्डा बनाने का परिणाम है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बीजेपी नेताओं को असली चूहे बताते हुए भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार ठहराया। विपक्षी नेता उमंग सिंगार ने पांच साल से कीट-नियंत्रण न होने का आरोप लगाया और इसे “नरसंहार” करार दिया।
पुरानी समस्या, नया विवाद
एम.वाय. अस्पताल में चूहों की समस्या कोई नई बात नहीं है। 1994 और 2014 में बड़े पैमाने पर कीट-नियंत्रण अभियान चलाए गए थे, जिसमें हजारों चूहे मारे गए। हाल के मानसून और अस्वच्छ परिसरों ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया। अस्पताल कर्मचारियों ने स्वीकार किया कि घटना से चार-पांच दिन पहले चूहों की मौजूदगी देखी गई थी, लेकिन इसकी सूचना नहीं दी गई।
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