Fake Currency: मध्य प्रदेश पुलिस की क्राइम ब्रांच ने शुक्रवार को उज्जैन जिले के चिमनगंज इलाके में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 17.5 लाख रुपये के नकली नोट जब्त किए हैं। इस अभियान में नकली नोट छापने वाले गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि इस पूरे नेटवर्क का मुख्य सरगना राजेश बरबाटे फरार बताया जा रहा है। पुलिस टीमें उसकी तलाश में लगातार दबिश दे रही हैं। उज्जैन के पुलिस अधीक्षक (एसपी) प्रदीप शर्मा ने आईएएनएस से बातचीत में इस कार्रवाई की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि पकड़े गए आरोपियों की पहचान चीनू गौसर और दीपेश चौहान के रूप में हुई है। दोनों लंबे समय से इस अवैध गतिविधि में शामिल थे और पुलिस को इनकी गतिविधियों पर कुछ समय से नजर थी।
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Fake Currency: गैंग के सरगना के घर से मिला हाई-टेक उपकरणों का जखीरा
पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि फरार आरोपी राजेश बरबाटे ही इस गिरोह का मास्टरमाइंड है। गुप्त सूचना के आधार पर क्राइम ब्रांच ने इंदौर के गंगा विहार कॉलोनी में राजेश बरबाटे के घर पर भी छापा मारा। तलाशी के दौरान पुलिस को हाई-एंड प्रिंटिंग मशीनें, हाई-सिक्योरिटी थ्रेड, स्पेशल पेपर, विशेष स्याही और नकली नोट बनाने के उपकरण बरामद हुए हैं।
एसपी शर्मा ने बताया कि बरबाटे और उसके साथियों ने बेहद सूक्ष्म तकनीकों का इस्तेमाल कर उच्च गुणवत्ता वाले नकली नोट तैयार किए। ये नोट सामान्य दुकानदारों और छोटे व्यापारियों के बीच आसानी से चल जाते थे, जिससे बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान की आशंका है।
Fake Currency: 2023 में भी हुई थी गिरफ्तारी, फिर भी जारी रखा अपराध
पुलिस जांच में यह खुलासा भी हुआ कि यह गिरोह पहले भी 2023 में इंदौर के नीलगंगा और अन्नपूर्णा थाना क्षेत्रों में नकली नोट प्रकरण में पकड़ा जा चुका है। उस समय भी इन्हें गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जमानत पर छूटने के बाद इन्होंने फिर से इसी अपराध को बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया। पुलिस का कहना है कि इनका नेटवर्क प्रदेश के कई जिलों में फैला हो सकता है।
Fake Currency: भोपाल में दो सप्ताह पहले भी पकड़ा गया था नकली नोट गिरोह
उज्जैन की यह कार्रवाई राजधानी भोपाल में हाल ही में हुए एक बड़े खुलासे के बाद सामने आई है। करीब दो हफ्ते पहले 21 वर्षीय विवेक यादव को भोपाल के करोंद इलाके से गिरफ्तार किया गया था, जो अपने किराए के कमरे से एक परिष्कृत नकली करेंसी कारोबार चला रहा था।
विवेक के कमरे से पुलिस ने 2.25 लाख रुपये के नकली नोट, हाई-एंड प्रिंटर, विशेष कागज, इंक और अन्य सामग्री जब्त की थी। पूछताछ में उसने खुलासा किया कि वह पिछले एक साल में 5–6 लाख रुपये के नकली नोट बाजार में चला चुका है, जिसमें उसकी मुख्य टारगेट छोटी दुकानें और फुटकर व्यापारी थे।
जानकारी के अनुसार विवेक केवल 10वीं क्लास तक पढ़ा है लेकिन उसने ऑनलाइन वीडियो देखकर, किताबें पढ़कर और प्रिंटिंग प्रेस की पिछली नौकरी से मिले अनुभव के आधार पर उच्च गुणवत्ता वाली नकली करेंसी तैयार करने की तकनीक सीख ली थी। पुलिस यह जांच कर रही है कि वह अकेला काम कर रहा था या किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा था।
नकली नोट गिरोहों की बढ़ती सक्रियता पर पुलिस सतर्क
उज्जैन और भोपाल की ये दोनों बड़ी कार्रवाइयां इस बात का संकेत देती हैं कि मध्य प्रदेश में नकली नोट छापने वाले गिरोह तकनीकी रूप से परिष्कृत और सक्रिय हो रहे हैं। इन मामलों के सामने आने के बाद पुलिस ने प्रदेश भर में ऐसे नेटवर्क पर कड़ी निगरानी और विशेष अभियान तेज कर दिया है।
एसपी प्रदीप शर्मा ने कहा कि पकड़े गए दोनों आरोपियों से पूछताछ में कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिली हैं और जल्द ही फरार मुख्य आरोपी को भी पकड़ लिया जाएगा। पुलिस का दावा है कि इस कार्रवाई से नकली नोटों का बड़ा नेटवर्क ध्वस्त होने की संभावना है।
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