Election Commission: भारतीय चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) पर बड़ा निर्णय लेते हुए समय-सीमा में सात दिनों का विस्तार कर दिया है। इस फैसले से बूथ स्तर पर काम कर रहे कर्मचारियों, खासकर बूथ स्तरीय अधिकारियों (BLOs) को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं विपक्ष ने इस विस्तार को बेहद अपर्याप्त बताया है।
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Election Commission: मतदाता सूची संशोधन की नई समय-सीमा
चुनाव आयोग के संशोधित कार्यक्रम के मुताबिक:
- BLO अब 11 दिसंबर तक घर-घर जाकर मतगणना पत्रक भरेंगे।
- मसौदा मतदाता सूची 16 दिसंबर को प्रकाशित होगी।
- दावे व आपत्तियां दर्ज कराने की समय-सीमा 16 दिसंबर से 15 जनवरी तय की गई है।
- दस्तावेज सत्यापन और क्षेत्रीय पूछताछ 16 दिसंबर से 7 फरवरी तक चलेगी।
- अंतिम मतदाता सूची अब 14 फरवरी, 2026 को जारी की जाएगी।
इससे पहले अंतिम प्रकाशन जनवरी में होना था, लेकिन शिकायतों को देखते हुए इसे आगे बढ़ाया गया है।
Election Commission: क्यों बढ़ानी पड़ी समय-सीमा?
सूत्रों के अनुसार कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने आयोग को बताया कि SIR की मौजूदा समय-सीमा बेहद कम है। विशेष रूप से ग्रामीण, दूरदराज और आदिवासी क्षेत्रों में मतदाता अपने दस्तावेज समय पर उपलब्ध नहीं करा पा रहे थे। कई जिलों के BLOs ने भी आयोग को पत्र लिखकर बताया था कि वे निर्धारित अवधि में घर-घर सर्वे पूरी तरह नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में समय बढ़ाने का फैसला न सिर्फ मतदाताओं के लिए बल्कि BLOs के लिए भी काफी राहत भरा माना जा रहा है।
Election Commission: छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने कहा—सात दिन का विस्तार ‘नाममात्र’
हालांकि मध्य प्रदेश में जहां राजनीतिक दलों ने इस राहत को सकारात्मक माना है, वहीं छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने इसे अपर्याप्त बताते हुए बड़ा बयान दिया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने रायपुर में कहा, ‘हमने राज्य और केंद्र, दोनों चुनाव आयोगों को ज्ञापन देकर कम से कम तीन महीने का विस्तार मांगा था। सात दिन का विस्तार दिखावे के अलावा कुछ नहीं।’
कांग्रेस का कहना है कि
- लाखों युवा मतदाता,
- पहली बार वोटर बने रहे 18+ युवा,
- आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों की महिलाएं,
- और दस्तावेज सुधार की प्रक्रिया से गुजर रहे परिवार
अब भी नाम जुड़वाने या संशोधन कराने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
मतदाता जागरूकता समूह भी कर रहे थे लंबी अवधि की मांग
कांग्रेस के अलावा कई विपक्षी दलों और मतदाता अधिकार समूहों ने भी आयोग से आग्रह किया था कि समीक्षा अवधि कम से कम एक महीने और बढ़ाई जाए। उनका कहना है कि SIR में जल्दबाजी करना लाखों लोगों को मताधिकार से वंचित कर सकता है। कई संगठनों ने बताया कि त्योहारों, परीक्षाओं और ग्रामीण कृषि कार्यों के कारण भी लोग दस्तावेज जमा करने के लिए समय नहीं निकाल पा रहे।
जल्दीबाजी लोकतंत्र को कमजोर करेगी – विपक्ष की चेतावनी
दीपक बैज ने स्पष्ट किया कि अगर आयोग ने समय-सीमा और नहीं बढ़ाई, तो पार्टी चुनाव आयोग की पूर्ण पीठ (Full Bench) के सामने यह मामला उठाएगी। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची लोकतंत्र की बुनियाद है और इसमें किसी भी प्रकार की जल्दबाजी सीधे तौर पर चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करती है। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि इतनी कम अवधि में गलतियों का सुधार, नए नाम जोड़ना, मृत या माइग्रेटेड मतदाताओं का विलोपन, और दस्तावेजों का फिजिकल वेरिफिकेशन व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है।
BLOs के लिए राहत की बात क्यों कही जा रही है?
BLO पिछले कई हफ्तों से लगातार घर-घर सर्वे कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों, पहाड़ी इलाकों और जंगलों में स्थित बूथों पर यह काम बेहद कठिन माना जाता है। समय-सीमा बढ़ने के बाद अब BLOs को थोड़ा अतिरिक्त समय मिलेगा जिससे घर-घर जाकर सत्यापन, आधार-पैन लिंकिंग चेक, मतदाता आयु सत्यापन, और दस्तावेज मिलान का काम ज्यादा व्यवस्थित ढंग से पूरा किया जा सकेगा।
14 फरवरी 2026 को जारी होगी अंतिम सूची: क्या असर पड़ेगा?
नए कैलेंडर के तहत अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इससे मतदाता सूची अधिक सटीक होगी, फर्जी या दोहराव वाली प्रविष्टियों में कमी आएगी, और युवा वोटर्स बड़ी संख्या में सूची में शामिल हो पाएंगे। यह कदम आगामी चुनावों की पारदर्शिता के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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