Money laundering case: सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में प्रर्वतन निदेशालय द्वारा की जाने वाली गिरफ्तारियों को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शिकायत का संज्ञान विशेष अदालत ने ले लिया है तो प्रर्वतन निदेशालय ‘प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट’ (पीएमएलए) के सेक्शन 19 के तहत आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। ऐसे मामलों में ईडी को गिरफ्तारी के लिए विशेष कोर्ट में आवेदन देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच के दौरान ईडी ने जिस आरोपी को अरेस्ट नहीं किया, उस पर बेल पाने के लिए पीएमएलए में दी गई कड़ी शर्त लागू नहीं होगी। साथ ही शीर्ष अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जब चार्जशीट पर कोर्ट द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद ऐसे आरोपी को समन जारी करे। आरोपी अगर पेश हो जाए तो केस चलने के दौरान उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
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सेक्शन 45 में दी गई बेल की दोहरी शर्त लागू नहीं होगी:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट में चार्जशीट पेश होने के बाद ईडी अगर ऐसे आरोपी को अरेस्ट करना चाहती है तो उसे कोर्ट से इजाजत लेनी होगी। इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी को लेकर एक नियमावली तय कर दी। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जरूरी नहीं है कि पीएमएलए के तहत सेक्शन 45 के तहत सख्त दोहरे टेस्ट में खुद को सही साबित किया जाए। बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग के सेक्शन 45 के तहत सरकारी वकील को यह अधिकार होता है कि वह आरोपी की जमानत याचिका का विरोध कर सके।
इसके लिए सरकारी वकील को एक मौका दिया जाता है। वहीं इस एक्ट के तहत आरोपी को खुद ही यह साबित करना होता है कि अगर उसे जमानत दी जाती है तो वह इस तरह का दूसरा कोई अपराध नहीं करेगा। इसके साथ ही आरोपी को ही कोर्ट में खुद को बेगुनाह साबित करना होता है। पीएमएलए के इन सेक्शन के तहत मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में जेल गए लोगों को जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है।
ईडी को कोर्ट से लेनी होगी अनुमति:
न्यायाधीश एएस ओका और जस्टिस उज्जल भुयां की बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर आरोपी समन मिलने के बाद विशेष अदालत में पेश हो जाता है तो उसके बाद उसे हिरासत में नहीं माना जा सकता। इसके साथ ही कोर्ट में पेश होने के बाद आरोपी को जमानत की दोनों शर्तों पर संतुष्ट करने की जरूरत नहीं होगी।
आरोपी के कोर्ट में पेश होने के बाद अगर ईडी उसे गिरफ्तार करना चाहती है तो इसके लिए एजेंसी को कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। इसके साथ ही बेंच ने कहा कि उस स्थिति में भी कोर्ट आरोपी को तभी हिरासत में लेने का आदेश देगी जब ईडी कोर्ट को इस बात के लिए संतुष्ट कर देगी कि आरोपी को पूछताछ के लिए गिरफ्तार करना जरूरी है।
क्या है मामला:
दरअसल, कोर्ट ने यह टिप्पणी ऐसे मामले में की है जब बात उठी कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी को बेल की दोनों शर्तों को पूरा करना जरूरी है। इस पर कोर्ट ने अब यह टिप्पणी कर नई व्यवस्था कर दी है। कोर्ट ने 30 अप्रैल को ही इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार कर रही थी कि अगर मामला कोर्ट में हो तो क्या ईडी पीएमएलए के सेक्शन 19 के तहत आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है या नहीं।
केजारवाल को 10 मई को मिली अंतरिम जमानत:
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अंतरिम जमानत दे दी। अब अरविंद केजरीवाल को 2 जूल को सरेंडर करना होगा। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं हैं, वह दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री हैं।
साथ ही कोर्ट ने कहा था कि चुनाव 5 साल में एक बार होता है। यह फसल की कटाई जैसा नहीं है कि हर 4-6 महीने में होगी। ऐसे में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने पर प्राथमिकता से विचार किया जाना चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी।