PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान कांग्रेस पर तीखे शब्दों में हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपने दशकों के शासनकाल में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया। यह बयान उस समय आया जब विपक्ष, खासकर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे, सरकार की कूटनीति और विदेश नीति को विफल बताते हुए लगातार तीखे सवाल उठा रहे थे।
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PM Modi: ‘लम्हों ने खता की, सदियों ने सजा पाई’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आजादी के बाद लिए गए कुछ गलत फैसलों की कीमत देश आज भी चुका रहा है। उन्होंने कहा, जब भी मैं पंडित नेहरू का नाम लेता हूं, कांग्रेस और उसका इकोसिस्टम बिलबिला जाता है। मुझे एक शेर याद आता है – लम्हों ने खता की, सदियों ने सजा पाई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के फैसलों ने देश को ऐसे हालात में ला खड़ा किया, जहां पाकिस्तान और चीन ने हमारी सीमाओं पर अतिक्रमण किया और हमारी संप्रभुता को चुनौती दी।
POK, अक्साई चीन, करतारपुर और सिंधु जल संधि का जिक्र
प्रधानमंत्री मोदी ने विस्तार से उन ऐतिहासिक मौकों का जिक्र किया, जब कांग्रेस सरकारों ने भारत के हितों से समझौता किया:
- POK (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर): मोदी ने कहा कि 1971 की जंग के बाद पाकिस्तान के 93 हजार सैनिक भारत के कब्जे में थे और हमारी सेना के पास पाकिस्तानी क्षेत्र का बड़ा हिस्सा था। उस समय हम POK को आसानी से वापस ले सकते थे, लेकिन यह मौका गंवा दिया गया।
- अक्साई चीन: उन्होंने कहा कि नेहरू सरकार ने अक्साई चीन को “बंजर भूमि” बताकर चीन के हवाले कर दिया, जिसका नतीजा हम आज भुगत रहे हैं।
- करतारपुर साहिब: मोदी ने सवाल किया कि जब करतारपुर साहिब हमारे नजदीक था, तब कांग्रेस उसे वापस क्यों नहीं ला सकी?
- सिंधु जल संधि: पीएम मोदी ने इसे नेहरू की सबसे बड़ी भूल बताया। उन्होंने कहा कि भारत की नदियों का 80% पानी पाकिस्तान को दे दिया गया और इसके लिए पैसा भी दिया गया। यह फैसला जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हिमाचल के लिए विनाशकारी रहा।
PM Modi: ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते’
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि मौजूदा एनडीए सरकार ने यह तय किया है कि पाकिस्तान जब तक आतंकवाद को समर्थन देता रहेगा, भारत सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार करेगा। उन्होंने कहा, खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।
PM Modi: कच्छ के रण और कच्चातिवु द्वीप का मुद्दा
पीएम मोदी ने कांग्रेस सरकार पर 1966 के कच्छ विवाद के दौरान पाकिस्तान के दबाव में झुकने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उस समय लगभग 800 किलोमीटर भारतीय क्षेत्र छोड़ने को कांग्रेस सरकार तैयार थी। इसके अलावा, उन्होंने 1974 में श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप सौंपे जाने की भी तीखी आलोचना की और कहा कि इससे तमिलनाडु के मछुआरों को अब तक जान-माल का नुकसान होता है।
‘हम अपने बांधों की मिट्टी भी नहीं हटा सकते थे’
प्रधानमंत्री ने बताया कि नेहरू सरकार द्वारा पाकिस्तान के साथ किए गए एक जल समझौते के तहत भारत अपने ही बांधों की डिसिल्टिंग (मिट्टी साफ) नहीं कर सकता था। उन्होंने कहा कि एक बांध के गेट को वेल्ड करके बंद कर दिया गया ताकि गलती से भी उसे साफ करने के लिए खोला न जा सके।
राहुल गांधी पर भी तंज
प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण राहुल गांधी द्वारा सरकार पर सैन्य कार्रवाई को लेकर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी का आरोप लगाने के बाद आया। मोदी ने पलटवार करते हुए कहा कि जो सवाल पूछ रहे हैं, उन्हें पहले अपने नेताओं की भूलों का जवाब देना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी का यह संबोधन न केवल कांग्रेस की ऐतिहासिक विदेश नीति पर कड़ी टिप्पणी थी, बल्कि आगामी चुनावों से पहले बीजेपी की राष्ट्रवादी लाइन को और मजबूत करने का प्रयास भी था। इस बहस ने एक बार फिर दिखा दिया कि विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा अब केवल रणनीतिक विषय नहीं, बल्कि चुनावी मुद्दे भी बन चुके हैं।
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