One Nation One Election: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। यह समिति 14 मार्च 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इन सिफारिशों पर चर्चा की गई और उन्हें स्वीकृति दी गई। इस फैसले की जानकारी सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद मीडिया को दी।
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18,626 पन्नों की तैयार की थी रिपोर्ट
कोविंद समिति का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था, जिसका उद्देश्य “वन नेशन, वन इलेक्शन” (एक राष्ट्र, एक चुनाव) की संभावना और इसके कार्यान्वयन पर विचार करना था। इस समिति की अध्यक्षता भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की। समिति ने 191 दिनों तक विभिन्न राजनीतिक दलों और हितधारकों के साथ चर्चा की और उन सभी पहलुओं पर विचार किया, जो इस योजना को लागू करने के लिए आवश्यक होंगे। इस गहन प्रक्रिया के बाद, समिति ने 18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की, जिसे 14 मार्च 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा गया।
47 राजनीतिक दलों में से 32 दलों ने दिया था समर्थन
कोविंद समिति ने “वन नेशन, वन इलेक्शन” पर व्यापक विचार-विमर्श के दौरान आम लोगों से भी राय मांगी थी, जिसके जवाब में 21,558 सुझाव प्राप्त हुए थे। इसके अलावा, 47 राजनीतिक दलों ने भी अपने राय और सुझाव दिए थे, जिनमें से 32 दलों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।
80 प्रतिशत सुझाव पक्ष में
कुल मिलाकर लगभग 80 प्रतिशत सुझाव “वन नेशन, वन इलेक्शन” के पक्ष में थे, जो इस नीति के प्रति जनता और राजनीतिक दलों के समर्थन का संकेत देता है। समिति ने केवल राजनीतिक दलों और जनता से ही नहीं, बल्कि देश के प्रमुख उद्योग संगठनों और अर्थशास्त्रियों से भी सुझाव लिए, ताकि चुनावों के आर्थिक और व्यावसायिक पहलुओं पर भी व्यापक दृष्टिकोण मिल सके।
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से क्या होगा फायदा
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का उद्देश्य लोकसभा और विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की संभावना पर विचार करना है। इस योजना से देश में बार-बार चुनाव होने की प्रक्रिया को कम करने और प्रशासनिक खर्चों को घटाने की उम्मीद की जा रही है। इस प्रस्ताव को लेकर भारत में राजनीतिक और कानूनी बहस भी चल रही है, क्योंकि इसे लागू करने के लिए संविधान संशोधन और व्यापक सहमति की आवश्यकता होगी।
सभी दलों के साथ सहमति से ही होगा लागू
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लागू करने के लिए एक क्रियान्वयन समूह का गठन किया जाएगा, जो इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव के कार्यान्वयन की दिशा में कदम उठाएगा। इस समूह का मुख्य उद्देश्य मंत्रिमंडल द्वारा पारित सिफारिशों के आधार पर राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों से व्यापक चर्चा करना और उनकी राय प्राप्त करना होगा। इस प्रक्रिया के तहत, क्रियान्वयन समूह विभिन्न पक्षों की चिंताओं और सुझावों को ध्यान में रखते हुए योजना को अंतिम रूप देगा। इसके बाद, इस नीति को लागू करने के लिए आवश्यक संविधान संशोधन विधेयक तैयार किया जाएगा, जिसे संसद में पेश किया जाएगा।