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Thursday, December 4, 2025
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LokSabha Elections: जानिए क्या होती है आदर्श आचार संहिता, किन चीजों पर लगती है रोक

LokSabha Elections: चुनाव आयोग की ओर से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कुछ नियम बनाए जाते हैं| आचार संहिता के तहत पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए कुछ गाइडलाइंस होती हैं। जिनका सभी राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों को पालन करना होता है। इन नियमों का सही रूप से पालन नहीं करने पर चुनाव आयोग इनके खिलाफ एक्शन ले सकता है।

LokSabha Elections: आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर देशभर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। बता दें कि आज शनिवार (16 मार्च) को चुनाव आयोग आगामी लोकसभा चुनावों की तारीख़ों और कार्यक्रम की घोषिणा करने वाला है। साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव की तारीख़ों के साथ-साथ चुनाव आयोग कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों का ऐलान भी कर सकता है|

बता दें आयोग ने एजेंसियों को धन और बाहुबल को नियंत्रित करने का निर्देश भी दिया है। चुनावों की तारीखों की घोषणा होते ही देश भर में आदर्श आचार संहिता (MCC)) लागू हो जाएगी। आइए जानते हैं आचार संहिता के बारे में विस्तार से।

क्या है आदर्श आचार संहिता?

आदर्श आचार संहिता में चुनाव आयोग की भूमिका अहम होती है। संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन संसद और राज्य विधानमंडलों के लिए चुनाव आयोग की ओर से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कुछ नियम बनाए जाते हैं| आचार संहिता के तहत पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए कुछ गाइडलाइंस होती हैं।

इन गाइडलाइन्स को राजनैतिक दलों की सहमति से तैयार किया जाता है। जिनका सभी राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों को पालन करना होता है। इन नियमों का सही रूप से पालन नहीं करने पर चुनाव आयोग इनके खिलाफ एक्शन ले सकता है।

कितने दिनों तक लागू रहती है आदर्श आचार संहिता :

चुनाव आयोग द्वारा जैसे ही चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाता है, उसी वक्त से ‘मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट’ यानी आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। यह मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहता है| बता दें कि किसी भी विधानसभा चुनावों के वक़्त यह अचार सहिंता केवल उस राज्य में ही लागू की जाती है। जबकि लोकसभा चुनावों की स्थिति में यह पूरे देश में लागू होती है।

आदर्श आचार संहिता की विशेषताएं क्या हैं?

आदर्श आचार संहिता सभी राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और सत्ताधारी दलों को चुनाव प्रक्रिया के समय कैसा व्यवहार करना चाहिए इन सभी बातों को निर्धारित करती है। यह संहिता सभी प्रकार की चुनाव प्रक्रिया, बैठकें, समारोह, मतदान दिन की गतिविधियों और सत्ताधारी दल के कामकाज को भी तय करती हैं।

क्या है नियम?

—इन नियमों के अनुसार, चुनाव प्रचार के दौरान कोई पार्टी या उम्मीदवार ऐसी कोई गतिविधि में भाग नहीं लेगा जो जातियों और समुदायों के बीच द्वेष पैदा कर सकती है।

—चुनाव प्रचार के दौरान किस भी नेता या उमीदवार के निजी जीवन पर कमेंट नहीं करना चाहिए और न ही एक दूसरे पर कोई आरोप-प्रत्यारोप लगाना चाहिए|

—कोई भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार चुनाव प्रचार करने के लिए मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या अन्य धार्मिक स्थानों का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।

—किसी भी जाति या धर्म के नाम पर कोई भी उम्मीदवार वोट नहीं मांग सकता है और न ही किसी भी प्रकार की जाति या सांप्रदायिक भावनाओं की अपील कर सकता है ।

—कोड ऑफ कंडक्ट के तहत मतदाताओं को धमकाना, उन्हे किसी भी प्रकार का लालच देना एवं मतदान केंद्र के 100 मीटर से भी कम दूरी पर प्रचार-प्रसार करना एक दंडनीय अपराध माना जायेगा |

—कोई भी राजनैतिक दल अपने प्रचार के लिए की दूसरी पार्टी के पोस्टर्स नहीं हटा सकती है |

—वोटिंग से 48 घंटे पहले किसी भी सार्वजनिक सभाओं को आयोजित करने पर सख्त प्रतिबंद होता है |

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