Kupwara Encounter: जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सेना के सतर्क जवानों ने शनिवार को घुसपैठ की कोशिश नाकाम कर दी, जिसमें दो आतंकवादी मारे गए। अधिकारियों के अनुसार, यह घटना कुपवाड़ा जिले के गुगलधार इलाके में हुई, जहां सेना ने एलओसी पार से की जा रही घुसपैठ की कोशिश को विफल करते हुए इन आतंकवादियों को मार गिराया। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए आंतरिक इलाकों और एलओसी पर आतंकवाद विरोधी और घुसपैठ विरोधी अभियान बढ़ा दिए गए हैं।
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दो आतंकवादी ढेर, हथियार जब्त
श्रीनगर स्थित सेना की 15वीं कोर ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बताया कि चल रहे ऑपरेशन गुगलधार में सुरक्षा बलों ने दो आतंकवादियों को मार गिराया है। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन के दौरान युद्ध जैसे सामान बरामद किए गए हैं। इलाके की तलाशी जारी है और ऑपरेशन अभी भी सक्रिय है।
बारूदी सुरंग विस्फोट में सेना के दो जवान घायल
15वीं कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने दो दिन पहले पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा था कि कश्मीर घाटी में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों की आतंकवाद विरोधी और घुसपैठ विरोधी तैनाती में कोई कमी नहीं की जा सकती। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों की सक्रियता जरूरी है। गौरतलब है कि शुक्रवार को कुपवाड़ा में नियंत्रण रेखा पर गश्त के दौरान एक बारूदी सुरंग विस्फोट में सेना के दो जवान, एक हवलदार और एक नायक घायल हो गए थे। यह घटना सुरक्षा बलों की सक्रियता और चुनौतियों की स्पष्टता को दर्शाती है।
हमला कर घने जंगलों में भाग जाते है आतंकवादी
विदेशी आतंकवादियों ने पिछले तीन-चार महीनों में जम्मू संभाग के डोडा, कठुआ, राजौरी, पुंछ और रियासी जिलों में सुरक्षा बलों, स्थानीय पुलिस और नागरिकों पर कई हमले किए हैं। पहाड़ी इलाकों में ये आतंकवादी घात लगाकर हमले करने के बाद तेजी से आसपास के घने जंगलों और झाड़ियों में भाग जाते हैं, जिससे उन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है।
4000 से अधिक पैरा कंमाडों तैनात
आतंकवादियों की रणनीति को विफल करने के लिए, जम्मू संभाग के पहाड़ी क्षेत्रों और घने जंगलों में 4,000 से अधिक पैरा कमांडो और पर्वतीय युद्ध में प्रशिक्षित जवानों को तैनात किया गया है। सुरक्षा बलों की यह संशोधित रणनीति प्रभावी साबित हुई है, जिसके परिणामस्वरूप इन जिलों में आतंकवादी हमलों में भारी कमी आई है।
सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए गश्त को बढ़ाया है और स्थानीय समुदाय के साथ बेहतर समन्वय स्थापित किया है। इसके साथ ही, जवानों की तैनाती ने आतंकवादियों के लिए चुनौती पैदा कर दी है, जिससे उनकी घातक योजनाओं को नाकाम किया जा रहा है।