Cloudburst: जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के माहौर इलाके में शुक्रवार, 29 अगस्त 2025 की रात बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई। इस प्राकृतिक आपदा में एक ही परिवार के सात लोगों की दुखद मौत हो गई। स्थानीय प्रशासन और लोगों के अनुसार, भारी बारिश और बादल फटने से आए मलबे ने एक मकान को पूरी तरह नष्ट कर दिया, जिसमें सो रहा परिवार मलबे में दब गया। मृतकों में नजीर अहमद (37), उनकी पत्नी वजीरा बेगम (35), और उनके पांच बच्चे शामिल हैं, जिनकी उम्र चार से बारह वर्ष थी। यह घटना रियासी के बद्दर गांव में हुई, जिसने पूरे क्षेत्र में शोक और दहशत का माहौल पैदा कर दिया।
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Cloudburst: रेस्क्यू ऑपरेशन और स्थानीय सहायता
हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय लोगों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया। सुबह तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में सभी सात शवों को मलबे से निकाला गया। स्थानीय विधायक माहौर मोहम्मद खुर्शीद ने बताया, “रात में भीषण बारिश के कारण बादल फटा, और मलबा सीधे मकान पर गिर गया। सुबह से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ, और सभी शव बरामद कर लिए गए हैं।” उन्होंने इस हादसे को क्षेत्र के लिए अभूतपूर्व बताया, क्योंकि इतनी तीव्र बारिश और तूफान पहले कभी नहीं देखा गया। रेस्क्यू कार्यों में स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्रशासन की टीमें भी शामिल थीं, लेकिन भारी बारिश और बंद रास्तों ने बचाव कार्यों में बाधा डाली।
Cloudburst: भारी बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें
रियासी में लगातार मूसलाधार बारिश के कारण हालात और गंभीर हो गए हैं। भदौरा ब्रिज के बह जाने और कई सड़कों के क्षतिग्रस्त होने से क्षेत्र का संपर्क टूट गया है। खुर्शीद ने कहा, “सारे रास्ते बंद हैं, और मैं घटनास्थल पर पहुंचने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन बारिश ने राहत कार्यों को मुश्किल बना दिया है।” भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने रियासी, रामबन, डोडा, और किश्तवाड़ सहित जम्मू संभाग के कई जिलों में भारी बारिश और बादल फटने की चेतावनी पहले ही जारी की थी। इस चेतावनी के बावजूद, ऐसी त्रासदी को रोकना संभव नहीं हो सका।
Cloudburst: परिवार की दुखद कहानी
मृतक परिवार बेहद गरीब था और बद्दर गांव में एक कच्चे मकान में रहता था। नजीर अहमद और वजीरा बेगम अपने पांच बच्चों के साथ साधारण जीवन जी रहे थे। हादसे में पूरे परिवार का सफाया हो गया, और उनके अन्य रिश्तेदारों से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है। खुर्शीद ने कहा, “यह परिवार बहुत गरीब था। रात में सोते समय यह हादसा हुआ, और उनके पास बचने का कोई मौका नहीं था।” इस घटना ने न केवल परिवार के रिश्तेदारों, बल्कि पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया है।
प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रियासी और रामबन में बादल फटने की घटनाओं पर दुख जताया और प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने रामबन के उपायुक्त मोहम्मद अलयास खान से बात कर राहत कार्यों की जानकारी ली। प्रशासन ने अस्थायी राहत केंद्र स्थापित किए हैं और NDRF व SDRF की टीमें बचाव कार्यों में जुटी हैं। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री ने भी स्थिति पर नजर रखने और त्वरित राहत सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
आगे की चुनौतियां और सावधानियां
जम्मू-कश्मीर में अगस्त 2025 में भारी बारिश, भूस्खलन, और बादल फटने की घटनाओं ने कई जिलों में तबाही मचाई है। किश्तवाड़, कठुआ, डोडा, और रामबन में पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें दर्जनों लोगों की जान गई। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे राहत कार्य और जटिल हो सकते हैं। प्रशासन ने लोगों से नदियों और नालों से दूर रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील की है। यह त्रासदी जलवायु परिवर्तन और हिमालयी क्षेत्रों में बढ़ती आपदाओं की गंभीरता को उजागर करती है।
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