Naxalite Surrender: छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश सीमा पर नक्सलवाद के खिलाफ साझा अभियान को मिली बड़ी सफलता। रविवार तड़के खैरागढ़ जिले के बकरकट्टा थाना क्षेत्र के कुम्ही गांव में एक करोड़ के इनामी नक्सली कमांडर रामधेर मज्जी समेत 12 नक्सलियों ने हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें 6 महिलाएं शामिल हैं। यह घटना नक्सली संगठन के एमएमसी जोन को खत्म करने का संकेत दे रही है। इसी के साथ मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले को आधिकारिक रूप से नक्सल-मुक्त घोषित कर दिया गया है, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय की मार्च 2026 की डेडलाइन से पहले हासिल उपलब्धि है। अब जिले में मात्र एक नक्सली दीपक सक्रिय बचा है।
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Naxalite Surrender: दबाव और पुनर्वास नीति ने तोड़ा हौसला
7-8 दिसंबर 2025 की मध्यरात्रि (रात 2-3 बजे) में बकरकट्टा थाना क्षेत्र में गोपनीय तरीके से सरेंडर प्रक्रिया शुरू हुई। सुबह कुम्ही गांव में औपचारिक समारोह के साथ इसे पूरा किया गया। नक्सलियों ने सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई, संगठन के अंदरूनी कलह और राज्य सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर यह कदम उठाया। रामधेर मज्जी, जो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के एमएमसी जोन प्रभारी और सीसीएम (केंद्रीय समिति सदस्य) थे, पर 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। वे कई गंभीर घटनाओं में शामिल रहे। सरेंडर के दौरान उन्होंने एके-47 राइफल सौंपी। अन्य नक्सलियों में चंदू उसेंडी (डीवीसीएम, 30 कार्बाइन), ललिता (डीवीसीएम, बिना हथियार), जानकी (डीवीसीएम, इंसास), प्रेम (डीवीसीएम, एके-47), रामसिंह दादा (एसीएम, 303), सुकेश पोट्टम (एसीएम, एके-47), लक्ष्मी (पीएम, इंसास), शीला (पीएम, इंसास), सागर (पीएम, एसएलआर), कविता (पीएम, 303) और योगिता (पीएम, बिना हथियार) शामिल हैं।
Naxalite Surrender: सरेंडर करने वालों की सूची – विभिन्न स्तरों के कैडर
कुल 12 हथियार सौंपे गए, जिनमें दो एके-47, दो इंसास, दो 303, एक एसएलआर, एक 30 कार्बाइन शामिल हैं। महिलाओं की बड़ी संख्या (6) संगठन की संरचना पर सवाल खड़ी करती है। बालाघाट एसपी आदित्य मिश्रा ने कहा, “सरेंडर करने वाले पुनर्वास से पुनर्जीवन तक की सरकारी नीति से प्रेरित हुए। जिला अब नक्सल-मुक्त है, सिर्फ दीपक बचा है, जो जल्द सरेंडर कर सकता है।” यह सरेंडर बालाघाट के बॉर्डर से सटे छत्तीसगढ़ क्षेत्र में हुआ, जिससे दोनों राज्यों को फायदा पहुंचा।
Naxalite Surrender: टॉप कमांडरों का सफाया
इस साल सुरक्षाबलों ने नक्सली संगठन पर बेरहम वार किए। जनवरी से अब तक बसवराजू, मनोज (उर्फ मोडेम बालकृष्णा, उर्फ राजू दादा), कोसा दादा, जयराम और 18 नवंबर को आंध्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर हिड़मा जैसे शीर्ष कमांडर मारे गए। इन घटनाओं ने नक्सलियों में भय का माहौल पैदा कर दिया। रामधेर मज्जी का सरेंडर एमएमसी जोन के लिए अंतिम प्रहार है। विशेषज्ञों का मानना है कि संगठन की रीढ़ टूट चुकी है, और छोटे कैडर सरेंडर की राह पर हैं। खैरागढ़-बालाघाट जैसे संवेदनशील इलाकों में शांति की नींव मजबूत हो रही है।
Naxalite Surrender: पुनर्वास का पैकेज, नई जिंदगी का वादा
सरकार की पुनर्वास योजना के तहत सरेंडर करने वालों को आर्थिक सहायता (2.5 लाख से 10 लाख तक), कौशल विकास प्रशिक्षण, आवास, नौकरी और सुरक्षा का पैकेज मिलेगा। रामधेर मज्जी जैसे बड़े इनामी को विशेष पुनर्वास की गारंटी दी गई है। आईजी स्तर के अधिकारी आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में विस्तृत जानकारी साझा करेंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह हमारी इंटेलिजेंस और ग्राउंड ऑपरेशन की जीत है। नक्सलियों को संदेश है – हिंसा छोड़ो, मुख्यधारा अपनाओ।” बालाघाट में सुनीता ओयाम जैसी हार्डकोर नक्सली पहले ही सरेंडर कर चुकी हैं, जो श्रृंखला का हिस्सा है।
Naxalite Surrender: नक्सल-मुक्त बालाघाट: विकास की नई सुबह
बालाघाट, जो 1990 के दशक से नक्सली हिंसा का शिकार रहा, अब नक्सल-मुक्त होने से विकास कार्यों को गति मिलेगी। ग्रामीणों ने सरेंडर का स्वागत किया, क्योंकि इससे स्कूल, अस्पताल और सड़कें सुरक्षित होंगी। सुरक्षा एजेंसियों को उम्मीद है कि बस्तर और अन्य क्षेत्रों में भी सरेंडर की बाढ़ आएगी। हालांकि, शेष नक्सलियों की सतर्कता बरतनी होगी।
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