Maoists Surrender: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में गुरुवार को गांधी जयंती के अवसर पर एक ऐतिहासिक घटना घटी, जब 103 माओवादियों ने वरिष्ठ पुलिस और अर्धसैनिक बल अधिकारियों के समक्ष हथियार डाल दिए। यह आत्मसमर्पण क्षेत्र में माओवादी नेटवर्क को कमजोर करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इनमें 23 महिलाएं शामिल हैं, और 49 माओवादियों पर कुल 1.06 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। इनमें डिविजनल कमेटी सदस्य (डीवीसीएम), प्लाटून पार्टी कमेटी सदस्य (पीपीसीएम), एरिया कमेटी सदस्य (एसीएम), मिलिशिया कमांडर और जनताना सरकार के सदस्य जैसे उच्च पदाधिकारी शामिल थे। यह एक दिन में छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक आत्मसमर्पण माना जा रहा है।
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Maoists Surrender: पुना मार्गेम के तहत आयोजित समारोह
आत्मसमर्पण कार्यक्रम राज्य सरकार की ‘पुना मार्गेम’ पहल के बैनर तले आयोजित किया गया, जो माओवादियों के पुनर्वास को नया जीवन का मार्ग बताती है। यह समारोह बस्तर रेंज के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (डीआईजी) कमलोचन कश्यप, सीआरपीएफ सेक्टर बीजापुर के डीआईजी बीएस नेगी, बीजापुर एसपी जितेंद्र कुमार यादव और सीआरपीएफ व कोबरा बटालियन के कई कमांडेंट की मौजूदगी में हुआ। प्रत्येक आत्मसमर्पित माओवादी को राज्य की पुनर्वास नीति के तहत 50 हजार रुपये का चेक सौंपा गया। एसपी जितेंद्र यादव ने बताया कि आत्मसमर्पित कैडरों की उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच है, और वे भैरमगढ़, गंगालूर, नेल्सोनार जैसे क्षेत्रों के मूल निवासी हैं।
Maoists Surrender: आत्मसमर्पण के प्रमुख कारण
अधिकारियों के अनुसार, माओवादी विचारधारा से मोहभंग, संगठन के अंदर बढ़ते मतभेद, नेतृत्व के खालीपन और शांतिपूर्ण पारिवारिक जीवन की ललक ने इन्हें मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया। कई कैडरों ने ‘खोखली’ माओवादी विचारधारा और हिंसा के चक्र से तंग आकर यह फैसला लिया। इसके अलावा, बस्तर क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों- जैसे नई सड़कें, बिजली, पानी की सुविधाएं और सामुदायिक पुलिसिंग- ने भी इन्हें प्रभावित किया। ‘नियेद नेल्ला नार योजना’ और आत्मसमर्पण-पुनर्वास नीति पर जागरूकता अभियानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आत्मसमर्पितों में बड़ी संख्या में रिवोल्यूशनरी पीपुल्स कमेटी (आरपीसी) सदस्यों का होना संगठन के आधार स्तर पर बदलाव का संकेत देता है।
Maoists Surrender: सांख्यिकीय उपलब्धियां और रुझान
जनवरी 2025 से बीजापुर जिले में 421 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया, 410 ने आत्मसमर्पण किया, जबकि 137 विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए। पिछले दो वर्षों में कुल 924 गिरफ्तारियां, 599 आत्मसमर्पण और 195 माओवादियों की मौत दर्ज की गई। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का मानना है कि यह रुझान माओवादी विचारधारा की कमजोरी और नक्सल-विरोधी अभियानों की बढ़ती प्रभावशाली को दर्शाता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मार्च 2026 तक नक्सलवाद उन्मूलन का लक्ष्य इस दिशा में मजबूत कदम है। एसपी यादव ने बाकी माओवादियों से अपील की कि वे भी नीतियों का लाभ उठाकर मुख्यधारा में लौटें।
गंगालूर में मुठभेड़: एक नक्सली मारा गया
इसी बीच, बीजापुर जिले के गंगालूर थाना क्षेत्र में गुरुवार सुबह 11 बजे से सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच रुक-रुककर मुठभेड़ जारी रही। सर्च ऑपरेशन के दौरान एक माओवादी को मार गिराया गया। एएसपी चंद्रकांत गोवर्ना ने बताया कि मुठभेड़ स्थल से माओवादी का शव, हथियार, विस्फोटक सामग्री और अन्य नक्सली सामान बरामद किया गया। ऑपरेशन अभी जारी है, इसलिए संवेदनशील जानकारी साझा नहीं की जा रही। अभियान समाप्त होने पर विस्तृत ब्यौरा दिया जाएगा। यह घटना आत्मसमर्पण के एक दिन बाद हुई, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा प्रयासों की तीव्रता को दर्शाती है। छत्तीसगढ़ सरकार की बहुआयामी रणनीति-सुरक्षा शिविरों का विस्तार, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और जागरूकता ने माओवाद को जड़ से कमजोर किया है।
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