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Friday, September 20, 2024
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Mahadev App Scam: सबकी आंखों में धूल! महादेव एप कांड में किसने किसको बचाया? सरकार और सियासत में क्या राज़?

Mahadev App Scam: महादेव एप कांड में पहली बार पढ़िए सत्ता और सियासत के गठजोड़ की कहानी। वो कौन हैं जो झोंक रहे सबकी आंखों में धूल? किसने-किसको बचाया? पढ़ें विस्तार से -

Mahadev App Scam: महादेव एप के जरिए ऑनलाइन सट्टे में जब राजफाश होने लगे तो सरकार से लेकर सियासत तक में उफान आ गया। 1500 करोड़ से अधिक के इस घोटाले पर भाजपा ने छत्तीसगढ़ की तत्कालीन कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लपेटे में लिया, लेकिन यह करोड़ों के सट्टे का खेल एक्सपोज़ होने के बाद फिर दबाने-छिपाने की सौदेबाजी में तब्दील हो गया। इस खेल को खेलने वाले और अवैध कमाई पर सरकार को घेरने वाले खुद अब शक के दायरे में आ गए हैं।

लगभग 6000 करोड़ का घोटाला

ED ने कई आरोपी और गवाहों के दर्ज बयानों के आधार पर देश भर में छापेमारी की थी। इस मामले में लगभग 2000 करोड़ की संपत्ति और नगदी ED जब्त कर चुकी है। यह घोटाला लगभग 6000 करोड़ का आंका गया है। दर्जनों आरोपी जेल की हवा खा रहे हैं, जबकि सट्टा कारोबार में संलिप्त पुलिस अफसर निलंबित तक नहीं किए गए। छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी महादेव ऐप घोटाले को अंजाम दिया गया था। रायपुर, भिलाई से लेकर दुबई तक कारोबार संचालित हो रहा था। इसमें छत्तीसगढ़ कैडर के कई पुलिस अधिकारी खुद भी शामिल थे। मुंबई क्राइम ब्रांच भी मामले की जांच में जुटी है। ऐसे समय छत्तीसगढ़ ईओडब्लू (EOW) में अज्ञात के खिलाफ प्रकरण दर्ज होने से ईडी की जांच पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

सियासी गलियारों में चर्चा आम है कि इस तरह मामले को दबाने के लिए 200 करोड़ रुपए का बंदरबांट हुआ है, अंदरखाने हुए इस ‘खेल’ ने सबकी कलई खोलकर रख दी। महादेव बेटिंग ऐप कांड में इसी 200 करोड़ की बंदरबांट में छुपे हैं कई सफेदपोशों के काले चेहरे। सबसे आश्चर्यजनक बात ये कि इनको बचाने में अब भाजपा सरकार क्यों जुट गई है? क्यों केंद्र की जांच एजेंसी ईडी की रिपोर्ट और पूछताछ में सामने आए तथ्यों पर आंख मूंदकर उसे झूठा साबित करने में लगी है? इस खोजपरक रिपोर्ट के जरिए आप जानिए किस तरह, किसने-किसको बचाया और कौन हैं इस ‘अंदर के खेल’ में शामिल।

रोचक तथ्य: आदि से अंत तक 200 करोड़ का आंकड़ा

महादेव बेटिंग एप कांड में हैरान करने वाला पहलु यह है कि इसमें 200 करोड़ रुपए का आंकड़ा आदि से अंत तक की कहानी बता रहा है। दरअसल, महादेव बेटिंग एप के संचालक ने शादी में 200 करोड़ रुपए खर्च किए तो शाही शादी ने सट्टे के इस खेल का खुलासा किया। निजी विमानों से मेहमानों को बुलाए जाने के बाद जब इसकी परतें खुलनी शुरू हुईं तो बड़े-बड़े नाम सामने आ गए।

इस मामले को भाजपा ने खूब उछाला और तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार को घेरा। लेकिन जब छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन हुआ तो यही 200 करोड़ का आंकड़ा फिर सामने आया। बताया जा रहा है कि इस बार यह 200 करोड़ रुपए मामले को दबाने और इसमें संलिप्तों को बचाने के लिए इस्तेमाल किए गए।

ईडी की रिपोर्ट में इन अफसरों के नाम, लेकिन सरकार मौन!

ईडी ने जांच, पूछताछ और बयानों के आधार पर छत्तीसगढ़ के पुलिस अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने को कहा था, लेकिन ईओडब्लू की एफआईआर में इनके नाम नदारद हैं। इसमें 2005 बैच के आईपीएस शेख आरिफ, 2001 बैच के आईपीएस आनंद छाबड़ा, 2001 बैच के ही आईपीएस अजय यादव और 2007 बैच के आईपीएस प्रशांत अग्रवाल, अभिषेक माहेश्वरी, चंद्र भूषण वर्मा का नाम सुर्खियों मे है। इनके अलावा संजय ध्रुव समेत थानेदारों और सट्टा कारोबारियो की लंबी लिस्ट दी गई थी। इसमें 70 से अधिक नाम बताए जाते हैं, लेकिन एफआईआर में चुनिंदा नाम लिखे गए।

संचालकों पर 900 करोड़ का दबाव बनाया, तो पार्टी बदली

विश्वस्त सूत्रों की मानें तो महादेव ऐप के संचालक तय रकम जो करोड़ों में थी, वह दे रहे थे। लेकिन संचालकों पर दबाव बढ़ाकर उनसे 900 करोड़ की डिमांड रखी गई। ऐसा नहीं करने पर फंसाने का डर दिखाया। इसमें नेताओं के साथ पुलिस अफसर भी थे जो धमका रहे थे। संचालकों ने इस दबाव के बीच राजनीतिक माहौल और जनता का रुख देखा तो उन्हें कांग्रेस सरकार के जाने और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने की संभावनाएं नजर आईं। फिर क्या था, संचालकों ने पार्टी बदल ली। यही वजह है कि कांग्रेस के राज में भाजपा जितनी मुखर हुई, खुद की सरकार आने के बाद उतनी ही बैकफुट पर नजर आई।

छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा को सुनिए

गृहमंत्री के बयान और इस प्रकरण की साजिश को समझना चाहते हैं तो पढि़ए…

  • धारा 50 के तहत प्राप्त विशेष अधिकार के तहत आरोपी और गवाह के बयान लिए जाते हैं जो कि कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है जबकि साधारण पुलिस जांच में लिए गए बयान को कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश नही किया जा सकता।
  • सीआरपीसी और पीएमएलए की जांच में बहुत अंतर होता है। पुलिस सीआरपीसी के तहत जांच करती है और ईडी पीएमएलए के तहत जिसमें उसे आरोप, गवाह और सबूत के मामले में असीमित शक्तियां प्राप्त हैं।
  • सीआरपीसी में आरोपी या गवाह के बयान को 161 के तहत लिखते हैं जो न्याय के इस साधारण सिद्धांत के तहत काम करता है कि किसी को अपने ही खिलाफ दोषी ठहराया नही जा सकता जबकि ईडी के दर्ज बयान को 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने लिए गए बयान के बराबर माना गया है। इससे आरोपी या गवाह बाद में मुकर नही सकता। मुकरने के दशा में उसे दोषी ठहराया जा सकता है।
  • ईडी ने आरोपी और गवाहों के बयान के आधार पर ही छापेमार कार्यवाही की है। इसी आधार पर दम्मनी भाई के आभूषण ज्वेलर्स के यहां छापे मार कर एक बड़े हवाला रैकेट को पकड़ा गया और कई तरह के कंप्यूटर और मोबाइल से चैट और अन्य सबूत जुटाए गए जो कि इस मनी लांड्रिंग नेटवर्क के खिलाफ मुख्य आधार है। यदि बयान के आधार पर फांसी नहीं दी जा सकती तो छापे कैसे मारे जा सकते है?
  • गृहमंत्री ने कहा कि किसी के बयान के आधार पर कोई दोषी साबित नही होता और इस जांच को और अधिक प्रमाणिकता की आवश्कता है”। तब पूर्व सीएम भूपेश बघेल को उसी बयान और उसी सबूत के आधार पर आरोपी कैसे बनाया जा सकता है? यही वजह है कि प्रकरण को पॉलिटिकल कांस्पीरेंसी यानी राजनीतिक साजिश बताया जा रहा है क्योंकि भूपेश का नाम ऐन चुनाव से पहले उछला, वहीं छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस के पूर्व उपकृत अधिकारी अभी तक सर्वोच्च पदों की शोभा बढ़ा रहे हैं।
  • अगर इस प्रकरण से कमाई करने वाले या फायदा उठाने वाले पुलिस विभाग में शीर्ष पदों और सीएम सचिवालय में बैठे हैं तो क्या इस बात से इनकार किया जा सकता है कि वो कांग्रेस सरकार में मिले अवसरों का कर्ज उतारने में कोई कमी छोड़ेंगे। इस तरह की दोषपूर्ण एफआईआर और जांच करवा कर अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस की मदद की जा रही है जिससे इन कमियों का फायदा उठा कर सुप्रीम कोर्ट से स्टे प्राप्त किया जाए और पॉलिकल फायदा उठाया जा सके।
  • मुंबई क्रइम ब्रांच ने इन्ही सबूतों और गवाहों के आधार पर महादेव ऐप में एफआईआर की है और यह एफआईआर एक समाजसेवी के द्वारा कोर्ट में आवेदन लगाने के बाद कोर्ट के आदेश के बाद की गई है। मतलब साफ है कि कोर्ट ने सारे तथ्यों को परखने के बाद साक्ष्यों से सहमत होकर ही एफआईआर का आदेश दिया है।
  • छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री अपने बयान के बाद अपनों के ही निशाने पर हैं। भाजपा संगठन में उनको लेकर चर्चा है कि केंद्रीय जेल में डालने वाले, भाजपाइयों पर लाठियां बरसाने का आदेश देने वाले और आंदोलन करने वालों को प्रताडि़त करने वाले अब भी बड़े अफसर बने बैठे हैं।
  • भाजपा ही नहीं प्रदेश की जनता के बीच भी इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि महादेव ऐप कांड के एक-एक अपराधी को जेल में ठूंसने का दावा करने वाले पीएम मोदी की बात को उनकी ही सरकार क्यों झुठलाने पर तुली है? क्या 200 करोड़ में सीएम हाउस में बैठे अफसरों से इस गारंटी का सौदा हुआ है?

छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री से पांच सवाल

1- आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि महादेव कांड में छग की भाजपा सरकार बैकफुट पर आई?
2- सरकार पर आरोप है कि उसने अफसरों को बचाया है, इसके लिए बड़े पैमाने पर लेनदेन हुआ है?
3- भूपेश बघेल को बयान के आधार पर आरोपी बनाया फिर अफसरों के मामले में आप पलट गए?
4- क्या सरकार इस मामले में ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसी की जांच की जानबूझकर अनदेखी कर रही है?
5- अगर ऐसा नहीं है तो क्या ईडी की जांच में जिन अफसरों के नाम आए उनपर एफआईआर दर्ज होगी?

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