Garba 2025: छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने गरबा को लेकर वक्फ बोर्ड की हालिया अपील पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि गरबा कोई साधारण नृत्य कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक पवित्र धार्मिक अनुष्ठान और देवी पूजा की पद्धति है। उन्होंने सभी समुदायों से अपील की है कि इसकी मर्यादा का पालन करें और केवल निष्ठा व श्रद्धा के साथ ही ऐसे आयोजनों में शामिल हों। यह बयान नवरात्रि के दौरान गरबा विवाद के बीच आया है, जब राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने मुस्लिम युवाओं से गरबा पंडालों से दूरी बनाए रखने की अपील की थी।
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Garba 2025: पूजा का प्रतीक, न कि मनोरंजन
विजय शर्मा ने स्पष्ट शब्दों में कहा, मैं खुद कह रहा हूं, उन्हें स्वयं ही ध्यान देना चाहिए कि यह धार्मिक अनुष्ठान है। देवी माता के मंदिर में नारियल का जोड़ा लेकर साष्टांग प्रणाम करें, प्रसाद लें और श्रद्धा से पूजा करें। अगर ऐसा करने की नीयत हो, तभी गरबा कार्यक्रमों में जाएं। उन्होंने आयोजकों से भी आग्रह किया कि केवल धर्मनिष्ठ और आस्थावान लोग ही ऐसे धार्मिक आयोजनों में भाग लें। डिप्टी सीएम ने जोर देकर कहा कि फिलहाल इस मामले में कोई कानूनी पाबंदी नहीं है, लेकिन धार्मिक भावनाओं की रक्षा और सामाजिक सद्भाव सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
Garba 2025: धार्मिक भावनाओं का करें सम्मान
यह बयान छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज के उस अपील के संदर्भ में आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि गरबा देवी की पूजा का माध्यम है और मुस्लिम धर्म के अनुरूप नहीं है। राज ने मुस्लिम युवाओं से गरबा पंडालों में ‘गलत इरादे’ से प्रवेश न करने की सलाह दी थी, ताकि हिंदू समुदाय की भावनाओं का ठेस न पहुंचे। विजय शर्मा का यह बयान गरबा को धार्मिक आयोजन के रूप में मजबूती प्रदान करता है और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने पर जोर देता है। राज्य में नवरात्रि का उत्साह चरम पर है, और गरबा पंडालों में सख्ती के बीच यह अपील विवाद को शांत करने का प्रयास लगती है।
Garba 2025: जगदलपुर स्वदेशी मेला: स्थानीय उत्पादों को मिलेगा प्रोत्साहन
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने गरबा विवाद के अलावा राज्य के आर्थिक विकास पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जगदलपुर में स्वदेशी मेला का आयोजन शुरू हो चुका है, जो स्थानीय उत्पादों और कारीगरों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस मेले में 4 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे। शर्मा ने कहा, केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति से स्वदेशी वस्तुओं को नया प्रोत्साहन मिलेगा और जनता को इन्हें अपनाने का एक प्रेरणादायक संदेश जाएगा।
यह मेला छत्तीसगढ़ सरकार की ‘स्वदेशी आंदोलन’ की पहल का हिस्सा है, जो स्थानीय उद्यमियों, हस्तशिल्पियों और छोटे व्यवसायों को मंच प्रदान करता है। मेले में आदिवासी उत्पादों, हथकरघा वस्त्रों और जैविक खाद्य पदार्थों का प्रदर्शन हो रहा है। विजय शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार लगातार स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहन देने के लिए योजनाएं चला रही है, ताकि स्थानीय कारीगरों को नई पहचान और बाजार मिल सके। अमित शाह की उपस्थिति न केवल मेले को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित बनाएगी, बल्कि नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के विकास को भी गति देगी।
एनएसयूआई धरने पर डिप्टी सीएम का तीखा प्रहार
एनएसयूआई के हालिया धरने को लेकर दर्ज एफआईआर पर भी विजय शर्मा ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि एक महिला अधिकारी के चेंबर में घुसकर विरोध प्रदर्शन करना और गाली-गलौच करना पूरी तरह अनुचित और असंवैधानिक है। डिप्टी सीएम ने जोर देकर कहा, लोकतंत्र में सभी को विरोध का अधिकार है, लेकिन हमें शासन के कार्यालयों की गरिमा और मर्यादा बनाए रखनी चाहिए। हमने भी आंदोलन किए हैं, लेकिन संविधान और लोकतांत्रिक मर्यादाओं का पालन करते हुए।
यह बयान एनएसयूआई कार्यकर्ताओं के उस धरने के संदर्भ में है, जिसमें उन्होंने शिक्षा विभाग की एक महिला अधिकारी के कार्यालय में हंगामा किया था। एफआईआर दर्ज होने के बाद विवाद बढ़ गया था। विजय शर्मा ने युवाओं से अपील की कि वे अपनी मांगें शांतिपूर्ण तरीके से रखें और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करें। उन्होंने कहा कि सरकार विरोध प्रदर्शनों को दबाने का इरादा नहीं रखती, लेकिन हिंसा या अशोभनीय व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
राज्य में सद्भाव और विकास का संदेश
विजय शर्मा का यह बयान नवरात्रि के धार्मिक उत्साह, स्वदेशी आंदोलन और राजनीतिक मर्यादाओं को जोड़ता है। गरबा विवाद के बीच उनकी अपील सामाजिक सद्भाव को मजबूत करने वाली है, जबकि स्वदेशी मेला आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक बनेगा। एनएसयूआई मामले पर उनका रुख युवाओं को लोकतांत्रिक मूल्यों की याद दिलाता है। छत्तीसगढ़ सरकार के तहत राज्य धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक मोर्चों पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। अमित शाह की यात्रा बस्तर के विकास को नई दिशा देगी, और गरबा जैसे आयोजनों में मर्यादा का पालन सामाजिक एकता को मजबूत करेगा।
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