RBI MPC: बजट के बाद निवेशकों की निगाहें अब 7 फरवरी को होने वाली भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक पर टिकी हैं। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस बैठक में रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की संभावना जताई जा रही है, जिसका उद्देश्य बाजार में तरलता (लिक्विडिटी) को बढ़ावा देना है। यह बैठक नए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा के कार्यभार संभालने के बाद पहली बार आयोजित हो रही है, जिससे बाजार में इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
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बजट 2025-26 और निवेश पर प्रभाव
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (एमओएफएसएल) की रिपोर्ट के अनुसार, आम बजट 2025-26 ने इस बार पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) के बजाय उपभोग और बचत को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया है। सरकार का यह रुख संकेत देता है कि आर्थिक विकास को गति देने के लिए उपभोग को मजबूती प्रदान करना आवश्यक है। साथ ही, बजट में राजकोषीय घाटे को नियंत्रित रखने के लिए भी ठोस कदम उठाए गए हैं। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 4.4 प्रतिशत निर्धारित किया गया है, जिससे राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने की सरकार की प्रतिबद्धता झलकती है।
एमपीसी बैठक के संभावित फैसले
विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति महंगाई दर, आर्थिक विकास की गति और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नीतिगत दरों में बदलाव कर सकती है। बाजार में उम्मीद जताई जा रही है कि रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती से बैंकों के लिए ऋण सस्ता होगा, जिससे उपभोग और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इससे खासकर रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल, और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर को लाभ हो सकता है।
आर्थिक वृद्धि और बाजार की दिशा
रिपोर्ट के मुताबिक, बजट के बाद निवेशकों का फोकस अब कंपनियों की आय वृद्धि और आरबीआई की मौद्रिक नीति पर है। वित्त वर्ष 2025 में निफ्टी का कर के बाद मुनाफा 5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2026 में 16 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। निवेश के लिहाज से लार्जकैप कंपनियां मिडकैप और स्मॉलकैप के मुकाबले बेहतर विकल्प के रूप में देखी जा रही हैं। वर्तमान में निफ्टी एक वर्ष के फॉरवर्ड आधार पर 19.9 गुना पर कारोबार कर रहा है, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियां प्रीमियम पर बनी हुई हैं।
बाजार में संभावित रुझान
बजट में उपभोग और बचत को बढ़ावा देने के उपायों से घरेलू मांग में सुधार की संभावना है। हालांकि, आय वृद्धि की गति अपेक्षाकृत धीमी रह सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकलुभावन नीतियों से परहेज करते हुए एक संतुलित बजट पेश किया है, जिसमें राजकोषीय अनुशासन और आर्थिक विकास के बीच संतुलन साधने का प्रयास किया गया है।
आरबीआई की आगामी एमपीसी बैठक भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। यदि रेपो रेट में कटौती की जाती है, तो यह आर्थिक गतिविधियों को गति देने में मददगार साबित होगी। बजट के बाद निवेशकों के रुझान और बाजार की दिशा को समझने के लिए एमपीसी के फैसले पर नजर रखना आवश्यक है।
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