RBI Cuts Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 5 साल बाद बड़ा फैसला लिया है। 7 फरवरी 2025 को हुई Monetary Policy Committee (MPC) की बैठक में Repo Rate को 0.25% घटाकर 6.5% से 6.25% कर दिया गया है। इस फैसले का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। अब बैंक सस्ता लोन देंगे और EMI भी कम हो सकती है।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि महंगाई दर में गिरावट को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। इससे इकोनॉमी को मजबूती मिलेगी और बाजार में लोन लेने वालों को फायदा होगा।
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Repo Rate क्या होता है?
Repo Rate वह दर होती है, जिस पर RBI बैंकों को लोन देता है। जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंकों को सस्ते में कर्ज मिलता है, और वे भी ग्राहकों को सस्ता लोन देने लगते हैं।
RBI Cuts Repo Rate का असर: क्या बदलेगा आपके लिए?
1. लोन लेना होगा सस्ता
अगर आप होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन लेने की सोच रहे हैं, तो यह अच्छा समय हो सकता है। बैंक अब कम ब्याज दरों पर लोन दे सकते हैं, जिससे आपकी जेब पर कम बोझ पड़ेगा।
2. पुराने लोन की EMI होगी कम?
अगर आपका लोन फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट (Floating Interest Rate) पर है, तो आपकी EMI घट सकती है। लेकिन अगर लोन फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट (Fixed Interest Rate) पर है, तो इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।
3. बाजार में बढ़ेगी लोन की मांग
कम ब्याज दरों की वजह से लोग ज्यादा लोन लेंगे, जिससे बाजार में पैसा बढ़ेगा और इकोनॉमी को ग्रोथ मिलेगी।
4. FD पर कम हो सकता है ब्याज
जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज दरें भी कम कर सकते हैं। इससे बचत पर कम रिटर्न मिल सकता है।
EMI में कैसे आएगी कमी?
EMI में कमी आपके लोन के ब्याज दर (interest rate) पर निर्भर करती है।
लोन का प्रकार | रेपो रेट कट का असर |
---|---|
फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट | कोई असर नहीं, ब्याज दर शुरुआत से अंत तक एक जैसी रहती है। |
फ्लोटर इंटरेस्ट रेट | ब्याज दर कम होगी, EMI भी घटेगी। |
अगर आपका लोन फ्लोटर रेट पर है, तो EMI कम होगी। फिक्स्ड रेट वाले लोन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
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RBI ने Repo Rate क्यों घटाया?
RBI ने महंगाई दर कम होने और इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में कटौती की है।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा –
“महंगाई पिछले कुछ महीनों में नियंत्रित हुई है। 2025-26 में इसमें और सुधार की उम्मीद है। इसलिए, हमने ब्याज दरें घटाने का फैसला किया है।”
महंगाई के आंकड़े:
महीना | खुदरा महंगाई (%) | थोक महंगाई (%) |
---|---|---|
अगस्त 2024 | 3.65 | – |
नवंबर 2024 | 5.48 | 1.89 |
दिसंबर 2024 | 5.22 | 3.36 |
गवर्नर ने बताया कि नई फसल आने से खाद्य महंगाई (food inflation) में और कमी आने की उम्मीद है।
पिछले 5 साल में Repo Rate में बदलाव
मई 2020 में RBI ने आखिरी बार रेपो रेट 0.40% घटाकर 4% किया था। लेकिन मई 2022 से मई 2023 तक RBI ने रेपो रेट में 2.50% की बढ़ोतरी कर इसे 6.5% तक पहुंचा दिया था।
तारीख | रेपो रेट (%) |
---|---|
मई 2020 | 4.00 |
मई 2022 | 6.50 |
फरवरी 2025 | 6.25 |
इस कटौती से एक बार फिर आम लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।
रेपो रेट और महंगाई का संबंध
रेपो रेट महंगाई को कंट्रोल करने का एक पावरफुल टूल है।
- उच्च रेपो रेट: जब महंगाई बढ़ती है, तो RBI रेपो रेट बढ़ाकर पैसा बाजार से खींचता है। इससे लोन महंगे हो जाते हैं और खर्च कम होता है।
- कम रेपो रेट: जब अर्थव्यवस्था सुस्त हो, तो RBI रेपो रेट घटाकर लोन सस्ते करता है ताकि बाजार में पैसा बढ़े और मांग बढ़े।
महंगाई और GDP पर क्या असर होगा?
महंगाई (Inflation) पर असर
- दिसंबर 2024 में खुदरा महंगाई 5.22% थी, जो RBI के 2-6% के दायरे में है।
- खाद्य वस्तुओं की कीमतें स्थिर होने से महंगाई और घटने की उम्मीद है।
GDP ग्रोथ पर असर
- कम ब्याज दरों से उद्योगों और कारोबारियों को सस्ते लोन मिलेंगे, जिससे इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा।
- लोगों की खरीदारी क्षमता बढ़ेगी, जिससे GDP ग्रोथ को फायदा होगा।
अब आपको क्या करना चाहिए?
अगर नया लोन लेना चाहते हैं – ब्याज दरें अभी और घट सकती हैं, लेकिन बैंकों के नए ऑफर्स का इंतजार करें।
अगर EMI कम करानी है – बैंक से संपर्क करें और पता करें कि आपकी लोन स्कीम पर यह कटौती लागू होगी या नहीं।
अगर FD कराना चाहते हैं – जल्द कर लें, क्योंकि ब्याज दरें घट सकती हैं।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि RBI का यह कदम आर्थिक सुधार और आम लोगों को राहत देने के लिए सही है। हालांकि, बैंकों को इस राहत का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने में कुछ समय लग सकता है।
RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती आम जनता के लिए राहत भरा कदम है। अब नए लोन सस्ते होंगे और फ्लोटिंग रेट लोन की EMI भी घटेगी। अगले कुछ महीनों में बैंकों से इन बदलावों का फायदा ग्राहकों को मिलना शुरू हो सकता है।
RBI Cuts Repo Rate का फायदा होम लोन, कार लोन और बिजनेस लोन लेने वालों को मिलेगा। हालांकि, बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती हो सकती है। इसलिए, इस फैसले का सही उपयोग करें और अपने फाइनेंशियल प्लानिंग में बदलाव करें।
अब देखना होगा कि बैंक कब और कितनी जल्दी यह फायदा ग्राहकों तक पहुंचाते हैं!
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