Retail Inflation: मई 2024 में भारत की महंगाई दर घटकर 4.75 प्रतिशत पर आ गई, जो पिछले 12 महीनों में सबसे निचला स्तर है। यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य और पेय पदार्थों की कीमतों में कमी के कारण हुई है। सांख्यिकी मंत्रालय ने बुधवार को ये आंकड़े जारी किए। ईंधन और खाने के तेल की कीमतों में गिरावट से लोगों के घरेलू बजट पर बोझ कम होने की उम्मीद है। बता दें कि अप्रैल में मुद्रास्फीति दर 4.83 प्रतिशत पर थी जो 11 महीने का निचला स्तर था। अब यह आरबीआई के टारगेट के नजदीक है, लेकिन इसके बावजूद आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती नहीं की है।
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मसाले, कपड़े और जूते हुए सस्ते
मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि मसालों के दाम में अप्रैल 2024 की तुलना में साल-दर-साल काफी गिरावट आई है। साथ ही कपड़े और जूते, आवास से संबंधित महंगाई पिछले महीने से कम हुई है।
खाने का तेल हुआ सस्ता, सब्जियों के दाम बढ़े
खाने के तेल की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। इस महीने के दौरान इसमें 6.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। मसालों की कीमतों में वृद्धि अप्रैल में 11.4 प्रतिशत से धीमी होकर मई में 4.27 प्रतिशत हो गई। हालांकि, दालों की कीमत 17.14 प्रतिशत पर बनी रही जो काफी ज्यादा है। सब्जियों की कीमतों में भी 27.33 प्रतिशत की वृद्धि हुई, हालांकि यह अप्रैल के 27.8 प्रतिशत से थोड़ा कम है।
अनाज की कीमतों में वृद्धि
जारी आंकड़ों के अनुसार, महीने के दौरान अनाज की कीमतों में भी 8.65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। मुद्रास्फीति अप्रैल में 7.87 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल अप्रैल में यह 1.5 प्रतिशत रिकॉर्ड की गई। बीते माह यानी मई में खाद्य मुद्रास्फीति में 8.52 प्रतिशत की वृद्धि हुई। देश की महंगाई दर लगातार कई महीनों में घट रही है और मार्च में यह 4.85 प्रतिशत पर आ गई, जबकि फरवरी में यह 5.09 प्रतिशत और इस साल जनवरी में 5.1 फीसदी रही।
आईबीआई के लिए राहत की बात
महंगाई दर में इस गिरावट का सकारात्मक प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ा है, क्योंकि इससे उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति में वृद्धि होती है और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए यह एक राहत की बात हो सकती है, क्योंकि इससे उन्हें मौद्रिक नीति को अधिक संतुलित तरीके से संचालित करने में मदद मिलती है।
महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए उठाए जा रहे कदम
इस गिरावट के बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि आगे भी महंगाई दर पर निगरानी बनाए रखने की आवश्यकता है, क्योंकि वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं में किसी भी प्रकार के बदलाव से महंगाई पर असर पड़ सकता है। सरकार और आरबीआई दोनों ही महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं। कुल मिलाकर, यह गिरावट उपभोक्ताओं और नीति निर्माताओं के लिए एक स्वागत योग्य विकास है, लेकिन आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए सतर्कता जरूरी है।