BPSC Protest: प्रशांत किशोर को पटना सिविल कोर्ट से सशर्त जमानत मिलने के बाद, उन्हें सोमवार की शाम को बेऊर जेल से रिहा कर दिया गया। उनका यह गिरफ्तारी बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) को रद्द करने की मांग को लेकर चल रहे आमरण अनशन के सिलसिले में हुआ था। सोमवार सुबह, प्रशांत किशोर को पटना पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वह बीपीएससी परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे थे। उन्हें चिकित्सकीय जांच के बाद पटना सिविल कोर्ट में पेश किया गया, जहां सशर्त जमानत मिली।
इससे पहले, जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं पीटी परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर दो जनवरी से अनशन पर थे। इस दौरान उन्हें पटना पुलिस ने सोमवार सुबह गांधी मैदान से गिरफ्तार कर लिया। प्रशांत किशोर ने BPSC 70वीं पीटी परीक्षा में कथित अनियमितताओं के खिलाफ अनशन शुरू किया था और परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे थे। पटना पुलिस ने उन्हें गांधी मैदान से गिरफ्तार किया और चिकित्सकीय जांच के बाद अदालत में पेश किया। अदालत ने प्रशांत किशोर को जमानत दे दी, लेकिन उन्होंने सशर्त जमानत लेने से इनकार कर दिया था।
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अब लड़ाई और लंबी चलेगी
प्रशांत किशोर ने अपनी गिरफ्तारी और जमानत पर अदालत परिसर में दिए गए बयान से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने रुख पर दृढ़ हैं और आंदोलन को लंबा चलाने के लिए तैयार हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि बेल भी नहीं लेंगे और अनशन भी नहीं तोड़ेंगे। जेल में ही अनशन चलेगा। उनके मुताबिक, अगर इसे रोका गया तो प्रशासन और नक्सल गतिविधियों में लिप्त लोगों का मनोबल बढ़ जाएगा। प्रशासन को निपटने दीजिए। ये लोग सोचकर लाए थे कि बेल दिलाएंगे और अनशन खत्म हो जाएगा, लेकिन अब लड़ाई और लंबी चलेगी।
पुलिसकर्मियों के दुर्व्यवहार के आरोप झूठेे
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया है कि पुलिस ने उनके साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया और उन पर लगाए गए थप्पड़ मारने जैसे आरोपों को उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया है। प्रशांत किशोर ने कहा है कि मेरे साथ पुलिस ने किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया। मेरी लड़ाई पुलिस से नहीं है। साथ ही, उन्होंने पुलिसकर्मियों के दुर्व्यवहार के आरोपों को झूठा बताते हुए कहा कि यह अफवाह है कि किसी पुलिसकर्मी ने थप्पड़ मारा है। ऐसी कोई घटना नहीं हुई।
25,000 के निजी मुचलके पर मिली थी जमानत
प्रशांत किशोर ने पटना सिविल कोर्ट द्वारा दी गई सशर्त जमानत को अस्वीकार कर यह संदेश दिया है कि वह अपने सिद्धांतों और आंदोलन के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। पटना सिविल कोर्ट ने उन्हें ₹25,000 के निजी मुचलके पर जमानत दी थी। अदालत ने आदेश दिया था कि प्रशांत किशोर भविष्य में ऐसी गलती (जिसे प्रशासन ने कानून का उल्लंघन माना) दोबारा नहीं करेंगे। उन्होंने सशर्त जमानत लेने से इनकार कर दिया और कहा कि अगर कोर्ट की शर्त मानेंगे, तो फिर भविष्य में धरना-प्रदर्शन नहीं दे पाएंगे, जो समाज के हित में नहीं होगा।
कैप्टेन मुकेश का बयान
जन सुराज के कैप्टेन मुकेश के बयान ने इस आंदोलन को ऐतिहासिक संदर्भ से जोड़कर इसे और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। उनका कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ बीपीएससी परीक्षार्थियों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसका प्रभाव बिहार की राजनीति और शासन पर भी पड़ेगा। उन्होंने प्रशासन द्वारा शांतिपूर्ण और अहिंसक अनशन को जबरन उठाए जाने की कड़ी निंदा की।
शांतिपूर्ण अनशन का महत्व
उनका मानना है कि इस घटना ने छात्रों और युवाओं के भीतर आक्रोश और संघर्ष की भावना को और बढ़ावा दिया है। उन्होंने 1974 में जयप्रकाश नारायण (जेपी) के नेतृत्व में हुए आंदोलन की तुलना इस घटना से की। जेपी आंदोलन का केंद्र भी बिहार था और यह छात्रों और युवाओं के संघर्ष का प्रतीक बन गया था।
सरकार बदलने की चेतावनी
इसी गांधी मैदान में जेपी पर लाठी चलाने की गलती सरकार ने की थी, जिसके परिणामस्वरूप पूरे देश में छात्र आंदोलन ने सरकार बदल दी थी। उनका दावा है कि बीपीएससी परीक्षार्थियों के इस आंदोलन से बिहार सरकार को व्यापक जन असंतोष का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने इसे एक बड़े राजनीतिक परिवर्तन की शुरुआत बताया।
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