Bihar News: बिहार के भोजपुर जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। बिहिया थाना क्षेत्र के बेलवानिया गांव में एक पिता ने अपने चार बच्चों के साथ कथित रूप से जहरीला पदार्थ खा लिया। इस घटना में तीन बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि पिता और एक अन्य बच्चा जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। इस घटना से पूरे गांव में मातम छा गया है।
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कैसे हुई घटना?
घटना शनिवार देर रात की बताई जा रही है, जब घर के अन्य सदस्य एक शादी समारोह में गए हुए थे। इसी दौरान 40 वर्षीय अरविंद कुमार ने अपने चार बच्चों के साथ जहरीला पदार्थ खा लिया। जब देर रात तक घर से कोई हलचल नहीं हुई, तो पड़ोसियों को शक हुआ। जब उन्होंने घर के अंदर जाकर देखा तो वहां का नजारा भयावह था। चारों बच्चे और अरविंद बेहोश पड़े थे।
पुलिस और स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और तुरंत पुलिस को सूचित किया। पुलिस की एक टीम बिहिया थाने से मौके पर पहुंची और तत्काल सभी को सदर अस्पताल, आरा भिजवाया। अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने अरविंद की दो बेटियों—नंदनी कुमारी (12) और डॉली कुमारी (5) तथा बेटे टोनी (6) को मृत घोषित कर दिया। वहीं, अरविंद और उनके एक अन्य बच्चे का इलाज जारी है।
पुलिस ने मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। अधिकारियों का कहना है कि घटना के पीछे की असली वजह की जांच की जा रही है। बिहिया थाने के दारोगा भगत यादव ने कहा, फिलहाल हमें यह साफ नहीं हो पाया है कि अरविंद ने यह कदम क्यों उठाया। हालांकि, प्राथमिक जांच में यह पता चला है कि अरविंद काफी तनाव में था। उसके परिवार के लोगों से बातचीत की जा रही है, जिससे घटना के असली कारणों का पता चल सके।
क्या थी आत्महत्या की वजह?
स्थानीय लोगों और परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार, अरविंद की पत्नी की पिछले साल बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी। पत्नी की मौत के बाद से ही वह बेहद गुमसुम और तनाव में रहता था। गांव के लोग बताते हैं कि अरविंद अक्सर आर्थिक तंगी और मानसिक अवसाद से जूझ रहा था।
एक पड़ोसी ने बताया, पत्नी की मौत के बाद से अरविंद बहुत परेशान रहने लगा था। उसने कई बार अकेले रहने की बात कही थी और घर में भी कम बातचीत करता था। हमें लगा कि वह वक्त के साथ ठीक हो जाएगा, लेकिन यह नहीं सोचा था कि वह इतना बड़ा कदम उठा लेगा।
गांव में पसरा मातम
इस हृदयविदारक घटना से पूरा बेलवानिया गांव शोक में डूब गया है। जिसने भी इस घटना के बारे में सुना, वह सन्न रह गया। मृत बच्चों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। गांव के लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि पीड़ित परिवार को मदद दी जाए और अरविंद के जीवित बचे बच्चे का उचित इलाज करवाया जाए।
मामले की आगे की जांच
फिलहाल पुलिस हर पहलू से इस मामले की जांच कर रही है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि अरविंद ने यह कदम अचानक उठाया या फिर वह पहले से ही आत्महत्या की योजना बना रहा था। साथ ही, पुलिस यह भी देख रही है कि क्या इसमें कोई बाहरी दबाव या आर्थिक परेशानी थी, जिसने उसे यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया।
बिहार में इस तरह की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं, जहां मानसिक तनाव और पारिवारिक परेशानियों के कारण लोग ऐसा कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं। पुलिस ने ग्रामीणों से अपील की है कि यदि कोई व्यक्ति मानसिक अवसाद से गुजर रहा है तो उसे अकेला न छोड़ें और उसकी मदद करने की कोशिश करें।
सरकार और प्रशासन की भूमिका
इस घटना के बाद प्रशासन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर क्यों लोगों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में सहायता नहीं मिल पा रही है। सरकार द्वारा चलाई जा रही हेल्पलाइन और मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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