Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ते ही राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को आंतरिक कलह का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के अति पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ से जुड़े करीब 50 नेताओं ने टिकट वितरण में उपेक्षा और पक्षपात के गंभीर आरोप लगाते हुए सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया। दरभंगा में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नाराज नेताओं ने पार्टी नेतृत्व पर खुलकर हमला बोला और कहा कि अति पिछड़ा समाज को वर्षों से सिर्फ वोट बैंक समझा जा रहा है, लेकिन हिस्सेदारी से वंचित रखा जा रहा है। इस घटना से राजद के चुनावी अभियान पर गहरा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
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Bihar Elections: इस्तीफा देने वालों में शामिल प्रमुख नाम
इस्तीफा देने वाले नेताओं में कई वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हैं। इनमें भोला सहनी (प्रदेश महासचिव), कुमार गौरव (प्रदेश उपाध्यक्ष), गोपाल लाल देव (प्रधान महासचिव), श्याम सुंदर कामत (जिला महासचिव) और सुशील सहनी (प्रदेश सचिव) प्रमुख हैं। इसके अलावा कई जिला और प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी, जैसे जिला प्रकोष्ठ के अध्यक्ष, प्रखंड अध्यक्ष तथा पंचायत स्तर के कार्यकर्ता भी इस सामूहिक विद्रोह में शामिल हो गए। नेताओं ने बताया कि यह इस्तीफा केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे अति पिछड़ा समाज की उपेक्षा के खिलाफ एक सामूहिक प्रतिक्रिया है।
Bihar Elections: टिकट वितरण में पक्षपात का आरोप
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए राजद अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. कुमार गौरव ने पार्टी नेतृत्व पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा, पार्टी में अब विचारधारा नहीं बची है। यहां केवल चापलूसी और धनबल की राजनीति चल रही है। अति पिछड़ा समाज को नजरअंदाज कर राजद ने साबित कर दिया कि वह सिर्फ कुछ चुनिंदा चेहरों की पार्टी बनकर रह गई है। डॉ. गौरव ने आगे कहा कि वर्षों से यह वर्ग पार्टी के लिए समर्पण और मेहनत से काम कर रहा है, लेकिन टिकट बंटवारे में इसकी पूरी अनदेखी की गई। उन्होंने चेतावनी दी कि वे और उनके साथी अब ‘अपमानजनक राजनीति’ नहीं करेंगे।
Bihar Elections: कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटने की शिकायत
पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष और राजद नेता भोला सहनी ने भी अपनी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने कहा, ईमानदार और समर्पित कार्यकर्ताओं का पार्टी में लगातार मनोबल टूट रहा है। हर बार अति पिछड़ा समाज को वोट बैंक समझा जाता है, लेकिन जब टिकट या हिस्सेदारी की बात आती है, तो उसे दरकिनार कर दिया जाता है। सहनी ने बताया कि इस्तीफा देने वालों में जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर के पदाधिकारी शामिल हैं, जो पार्टी की जमीनी ताकत हैं। उन्होंने पार्टी नेतृत्व से अपील की कि यदि अब भी कार्यकर्ताओं की आवाज नहीं सुनी गई, तो यह असंतोष चुनावी नतीजों पर भारी पड़ेगा।
Bihar Elections: चुनावी प्रदर्शन पर संभावित असर
नेताओं ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यह विद्रोह राजद के चुनावी प्रदर्शन को सीधे प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता है और इसकी अनदेखी पार्टी को महंगी पड़ सकती है। दरभंगा सहित कई जिलों में राजद की जड़ें मजबूत करने वाले ये कार्यकर्ता अब पार्टी से अलग होकर स्वतंत्र रूप से प्रचार कर सकते हैं या अन्य दलों की ओर रुख कर सकते हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद अन्य नेताओं ने भी यही राय दोहराई कि टिकट वितरण में पारदर्शिता और समावेशिता की कमी ने पार्टी को कमजोर कर दिया है।
पार्टी नेतृत्व की चुप्पी
राजद की ओर से इस सामूहिक इस्तीफे पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, नेतृत्व इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन चुनावी व्यस्तता के कारण देरी हो रही है। बिहार में राजद महागठबंधन का प्रमुख घटक है और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है। ऐसे में आंतरिक कलह पार्टी की एकजुटता पर सवाल खड़े कर रही है।
व्यापक संदर्भ में अति पिछड़ा वर्ग की भूमिका
बिहार की राजनीति में अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) करीब 32 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करता है और किसी भी दल की जीत में अहम भूमिका निभाता है। राजद ने हमेशा खुद को सामाजिक न्याय की पार्टी बताया है, लेकिन टिकट वितरण में यादव और मुस्लिम समुदाय पर अधिक फोकस करने के आरोप लगते रहे हैं। इस बार के इस्तीफे ने इन आरोपों को और बल दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि राजद ने समय रहते इस असंतोष को नहीं संभाला, तो ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी का वोट बैंक खिसक सकता है।
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