Bihar Assembly Election: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी रणनीति का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी और न तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और न ही महागठबंधन के साथ कोई समझौता करेगी। बसपा के बिहार प्रभारी अनिल कुमार ने गुरुवार को पूर्वी चंपारण के मुख्यालय मोतिहारी में कार्यकर्ताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद यह घोषणा की। इस घोषणा ने बिहार के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है, क्योंकि बसपा की यह रणनीति दोनों प्रमुख गठबंधनों के लिए चुनौती बन सकती है।
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Bihar Assembly Election: बसपा की रणनीति, जनता के बीच बदलाव की लहर
मोतिहारी में आयोजित बैठक में अनिल कुमार ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार की जनता अब एनडीए और महागठबंधन के झूठे वादों से तंग आ चुकी है। उन्होंने कहा, दोनों गठबंधनों ने बिहार की जनता को केवल छलने का काम किया है। अब लोग बदलाव चाहते हैं, और यह बदलाव बहुजन समाज पार्टी लाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि बसपा सत्ता की लालच में नहीं, बल्कि समाज के अंतिम व्यक्ति के कल्याण के लिए चुनाव लड़ रही है। अनिल कुमार ने मायावती की विचारधारा और डॉ. बी.आर. आंबेडकर जैसे महापुरुषों के सिद्धांतों को पार्टी का आधार बताया, जो सामाजिक समानता और आर्थिक उत्थान पर केंद्रित है।
Bihar Assembly Election: राज्यव्यापी यात्रा, जनता से सीधा संवाद
बसपा ने अपनी चुनावी तैयारियों को और मजबूत करने के लिए 10 सितंबर से एक राज्यव्यापी यात्रा शुरू करने की घोषणा की है। यह यात्रा कैमूर जिले से शुरू होगी और 18 सितंबर को मोतिहारी पहुंचेगी। अनिल कुमार ने बताया कि इस यात्रा में पार्टी के कई बड़े नेता शामिल होंगे, जो बिहार के विभिन्न जिलों में जाकर जनता से सीधा संवाद करेंगे। इसका उद्देश्य कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना और बसपा की नीतियों को गांव-गांव तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा, हमारी पार्टी बिहार की जनता के साथ गठबंधन करेगी, न कि किसी राजनीतिक गठबंधन के साथ। इस यात्रा के जरिए बसपा बिहार में अपनी पैठ बढ़ाने और विशेष रूप से दलित, पिछड़ा वर्ग, और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच अपनी उपस्थिति मजबूत करने की कोशिश करेगी।
Bihar Assembly Election: बसपा की विचारधारा, समाज के हर वर्ग की आवाज
अनिल कुमार ने बसपा को हर वर्ग की आवाज बताते हुए कहा कि पार्टी किसी विशेष समुदाय तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, हमारी नीतियां सभी वर्गों—अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, और अल्पसंख्यकों—के कल्याण के लिए हैं। हमारा लक्ष्य सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक सशक्तिकरण है। उन्होंने मायावती के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में बसपा के शासनकाल का उदाहरण देते हुए कहा कि पार्टी ने हमेशा समाज के कमजोर वर्गों को मुख्यधारा में लाने का काम किया है। बिहार में भी बसपा इसी मॉडल को लागू करने की योजना बना रही है।
चुनावी चुनौती: एनडीए और महागठबंधन को टक्कर
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए (बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (आर), और हम) और महागठबंधन (आरजेडी, कांग्रेस, और वाम दल) के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है। ऐसे में बसपा का अकेले सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला दोनों गठबंधनों के लिए नई चुनौती पेश कर सकता है। टाइम्स नाउ-जेवीसी के एक ओपिनियन पोल के अनुसार, बसपा को एक सीट मिलने की संभावना है, लेकिन पार्टी का दावा है कि वह कई सीटों पर अप्रत्याशित प्रदर्शन कर सकती है। विशेष रूप से सीमांचल और भोजपुर जैसे क्षेत्रों में, जहां दलित और ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं, बसपा अपनी उपस्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
कार्यकर्ताओं को निर्देश: गांव-गांव तक पहुंच
मोतिहारी की बैठक में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए, जिन्हें अनिल कुमार ने गांव-गांव जाकर बसपा की नीतियों को फैलाने का निर्देश दिया। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे जनता को यह बताएं कि बसपा सत्ता के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता के लिए लड़ रही है। कार्यकर्ताओं को संगठन को मजबूत करने और स्थानीय मुद्दों जैसे बेरोजगारी, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करने को कहा गया।
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