Kitchen Vastu: हमारे जीवन पर वास्तु का बहुत प्रभाव पड़ता है। वहीं अगर वास्तु के नियमों के अनुसार हमारा घर या कार्यस्थल नहीं बनाया गया है, तो हमें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही इससे मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं और जीवन में दरिद्रता छा जाती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर में आग्नेय कोण में किचन बनाना शुभ माना जाता है।
दूसरा, आप इसे पश्चिम की ओर भी बना सकते हैं, लेकिन किचन को किसी भी दिशा या कोण में बनाकर उसके सामने या नीचे की मंजिल पर शयनकक्ष हो तो यह बहुत बड़ा वास्तु दोष माना जाता है । आइए जानते हैं वास्तु अनुसार किचन कैसी होनी चाहिए और क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
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शयनकक्ष को किचन के सामने, ऊपर या नीचे क्यो नहीं होना चाहिए?
जब हम किचन में भोजन पकाते हैं तो हर दिन सुबह और शाम अग्नि जलती रहती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार जिस स्थान पर अग्नि निरंतर जलती रहती है, वहां एक अग्नि मंडल बनने लगता है। इस मंडल का विस्तार और घनत्व समय के साथ बढ़ता रहता है। यह 10 फीट से 12 फीट तक विस्तारित होता है| ऐसे में किचन के सामने, नीचे और ऊपर के कमरे पर इस अग्नि ऊर्जा का असर होता है।
सामने, चाहे शयनकक्ष, अध्ययन कक्ष, पूजा कक्ष या शौचालय हो, सभी पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एक व्यक्ति औसतन छह से आठ घंटे बैडरूम में बीतता हैं ,ऐसे में अगर यह किचन के 10 फीट से 12 फीट की दायरें में होता है तो यहाँ पर किचन की ऊर्जा का ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
सिंक की दिशा:
वास्तुशास्त्र के अनुसार, उत्तर पूर्व दिशा में किचन की सिंक बनवाना शुभ होता है| ऐसा करने से घर के लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।साथ ही यह भी ध्यान रखें कि पानी की पाइपों, गंदे पानी की पाइपों, वॉशवेसिन पाइपों या किसी भी पानी से जुड़े वस्तुओं या स्त्रोतों को उत्तर या उत्तर पूर्व कोने की ओर नहीं रखना चाहिए। इससे वास्तु दोष लग सकता है।
अलमारी की दिशा:
किचन में सामान रखने के लिए स्लैब या आलमारी को दक्षिण या पश्चिम दिशा में बनाना वास्तु के अनुसार शुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि रहती है। साथ ही वास्तु देवता भी खुश रहते हैं।
रसोईघर के द्वार के सामने बाथरूम नहीं हो:
वास्तु शास्त्र के अनुसार बाथरूम का किचन के मुख्य द्वार के सामने होना अशुभ माना जाता है | इससे वास्तु दोष लगता है। साथ ही घर में रहने वाले लोगों धन का अभाव होने लगता हैं । घर में नकारत्मकता फैलती है और परिवार में कलेश होने लगता है |
इस दिशा में सामान रखें:
किचन में दक्षिण पूर्व कोने में बिजली का सामान जैसे माइक्रावेव और मिक्सी आदि को रखना अच्छा माना जाता है| वास्तु देवता को खुश रखने और उनका उनका आशीर्वाद पाने के लिए दक्षिण या पश्चिम में बर्तन स्टैंड या कोई भारी वस्तु को रखना चाहिए|
किचन के सही दिशा में नहीं होने के नुकसान:
अग्नि मंडल क्षेत्र में अधिक समय तक रहने, सोने या पढ़ाई करने से मानसिक तनाव बढ़ता है। क्रोध बढ़ने लगता है। छोटी सी असफलता से भी डिप्रेशन होने लगता है। अनावश्यक तनाव के कारण व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने जैसे विचार आने लगते हैं |
अग्नि मंडल के नकारत्मक प्रभाव से व्यक्ति को अनिद्रा, हाई ब्लड प्रेशर, नसों की कमजोरी, जोड़ों का दर्द और पित्त का असंतुलन जैसी समस्याएं होने लगती हैं। हमेशा थकान महसूस होती है।
गृहक्लेश, लड़ाई झगड़ा, धन हानि, कानूनी विवाद, एक्सीडेंट और अचानक होने वाली घटनाएं भी होने लगती हैं।
बेडरूम के लिए उपाय:
यदि आपका शयनकक्ष किचन के ऊपर हो तो किचन की छत कम से कम 15 फीट ऊंची होनी चाहिए। इससे ऊपरी बेडरूम पर ऊर्जा का प्रभाव कम होगा। किचन की छत पर थर्माकोल या पीओपी की शीट भी लगवा सकते हैं।
यदि आपका शयनकक्ष किचन के सामने हो तो कमरे की छत पर एक विंड चेम लटका दें। साथ ही एक मोटे कपड़े का पर्दा शयनकक्ष के दरवाजे पर लगाए|
यदि शयनकक्ष किचन के नीचे हो तो एक हरे रंग की एक मैट को किचन के गैस स्टोव के नीचे बिछा लें। काम हो जाने के बाद किचन को अच्छे से धो लें और गीला पोछा लगाएं।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सभी जानकारियाँ सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। विभिन्न माध्यमों से एकत्रित करके ये जानकारियाँ आप तक पहुँचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज़ सूचना पहुँचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज़ सूचना समझकर ही लें। किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि का होना संयोग मात्र है। Bynewsindia. com इसकी पुष्टि नहीं करता है।
