Kids health: सर्दियाँ जा चुकी हैं और गर्मियों ने धीरे-धीरे दस्तक देना शुरू कर दिया है| इस बदलते मौसम में सबसे ज्यादा तबियत ख़राब होने का खतरा रहता है | खासकर बच्चे बदलते मौसम में जल्दी बीमार पड़ जाते है। अक्सर बच्चे सर्दी ,जुकाम और बुखार की चपेट में आ जाते हैं।
आपने अक्सर देखा होगा कि जब भी छोटे बच्चे बीमार होते हैं, तो ज्यादातर पेरेंट्स चम्मच या बोतल के ढक्कन से नापकर उन्हें दवाई या सिरप पिला देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि छोटे बच्चों को दवा की बिल्कुल सही खुराक मिलना कितना जरूरी होता है। असल में हम सब जाने-अनजाने इस छोटी सी गलती से उनकी सेहत को खतरे में डाल रहे हैं|
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चम्मच या दवा की बोतलों वाले ढक्कन:
दिल्ली की फार्मास्युटिकल साइंस एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी ने बच्चों को दवा देने के तरीकों पर एक व्यापक अध्ययन किया। दिल्ली सहित चार मेट्रो शहरों के लगभग 300 अभिभावकों को इसमें शामिल किया गया था। अध्ययन से पता चला कि बड़ी संख्या में अभिभावक अपने बच्चों को दवाई पिलाने के लिए चम्मच या दवा की बोतलों वाले ढक्कन का उपयोग करते हैं।
लगभग 42 प्रतिशत पेरेंट्स अपने घर में चम्मच से बच्चों को दवा देते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि यह आंकड़ा दर्शाता है कि एक बड़ी संख्या में पेरेंट्स को दवाई पिलाने वाली लेटेस्ट डिवाइस के बारे में कोई ज्ञान नहीं है| डॉक्टर्स के अनुसार अगर पेरेंट्स कुछ सावधानी बरते तो अपने बच्चों को सही मात्रा में दवा दे सकते हैं।
ऐसे देनी चाहिए बच्चों को दवा:
दिल्ली की फार्मास्युटिकल साइंस एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी तथा अन्य रिपोर्ट्स से यह सामने आया कि लगभग 86 प्रतिशित अभिभावकों ने ओरल सिरिंज या दवा देने वाली कोई भी दूसरी डिवाइस को नहीं देखा है। आज भी इतनी बड़ी संख्या में अभिभावक दवाई की सही मात्रा देने वाली इस आधुनिक डिवाइस से अनजान है| बता दें कि बच्चों को मुंह से दवा देने वाले उपकरणों में डिस्पेंसर, पेसिफायर और ओरल सिरिंज शामिल हैं।
दवाओं के साथ आने वाले ढक्खन सही नहीं:
कई बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय बाजार में दवाओं का माप वाला ढक्कन अक्सर सही माप नहीं देता है| उदाहरण के लिए प्लास्टिक के ढक्कन में अक्सर 5 एमएल और 10 एमएल का माप दिया जाता है| अब अगर किसी बच्चे को 7 या 8 ml का डोज़ देना हो तो पेरेंट्स अंदाजे से उसी ढक्कन में नापकर दवाई दे देते है|
यही कारण है कि जब पेरेंट्स इन ढक्कनों का इस्तेमाल बच्चे को दवाई देने में करते है तो उन्हें दवाई की सही मात्रा नहीं मिल पाती है| रिपोर्ट्स कहती है की विदेशों में दवा देने वाली डिवाइस पर बहुत ध्यान दिया जाता है। इसलिए वहाँ जयादातर ओरल सिरिंज का उपयोग किया जाता है। इस सिरिंज में सही माप अंकित होते है जिससे बच्चों को सही मात्रा में दवा दी जा सकती है।
सही माप में दवा देना जरूरी:
छोटे बच्चों को सॉलिड फॉर्म में दवाई लेना मुश्किल होता है| इसलिए उनकी दवाइयाँ सिरप के रूप में दी जाती है| बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को दी जाने वाली यह दवाएं सॉलिड फॉर्म से लिक्विड फॉर्म में बदली जाती हैं| फॉर्म बदलने के कारण इस दवा में लगभग आधा ml का फर्क आ जाता है|
आप ऐसे समझ लीजिये की अगर किसी 2 mg की दवा को सिरप फॉर्म में बदला जाए तो वह 3.69 एमएल की हो जाएगी| अब यदि डॉक्टर ने किसी दवा की ख़ुराक 3.5 ml या 4 ml दी है तो ढक्कन या चम्मच में इसकी सही माप नहीं आ पायेगी और ख़ुराक में करीब 1 ml तक का फर्क आ सकता है | बच्चे को सही मात्रा में ख़ुराक न मिलने के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
Disclaimer: उपर्युक्त खबर में उल्लेखित जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और परसेप्शन पर आधारित है। आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ अथवा अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।