CG Politrics: इस कॉलम में ‘बिनोद’ आपको बताएंगे छत्तीसगढ़ में सत्ता और विपक्ष में चल रहे ‘अंदर के खेल’ के बारे में। वो बातें, जो ख़बरों का हिस्सा कम ही बनती हैं या बनती ही नहीं। क्योंकि, देख रहा है बिनोद…
2005 का आतंक
राजनीति शास्त्र का एक सिद्धांत है जिसे “आयरन लॉ ऑफ ओलिगरकी” कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि सत्ता हमेशा चंद रसूखदार लोगो के हाथ में रहती है और वे हमेशा अपने मनमाने फैसले लेते है जैसे अमेरिका में ब्यूरोक्रेटस, आर्म्स लॉबी, पेंटागन। साथ ही ये पावर एलीट सत्ता के आस-पास एक लौह द्वार यानी एक आयरन कर्टन बना देते हैं जिसको पार करके कोई भी साधारण आदमी या कार्यकर्ता सत्ता के पास नहीं जा सकता।
रमन सिंह के समय भी अफसरों की एक लॉबी ने ये काम किया, भूपेश बघेल के समय टुटेजा और सौम्या लॉबी ने। अचरज की बात है के जो लॉबी पिछली सरकारों में लम्बे समय के बाद उभरती थी वो वर्तमान में पंद्रह दिन के अंदर ही पैदा हो गई। जिसको एक पूर्व आईएएस, सचिवालय में पदस्थ एक आईएएस और एक आईपीएस जिनके नाम में ही राहु विराजमान है संचालित कर रहे हैं। बाकी पूरे 2005 बैच के आईएएस-आईपीएस (सभी नहीं, कुछ अच्छे लोग भी हैं) लूट तंत्र का महत्वपूर्ण भाग हैं। इनका पूरा आदर्श भूपेश बघेल और उनका मनी मॉडल है। कोई परवाह किए बिना, सभी मापदंडों को ताक में रखकर जो लूट सको, लूट लो। आगे मौका मिले न मिले। एक दिन ट्रांसफर करो दूसरे दिन नकदी के साथ कैंसल।
बाकी सारे मंत्री खनखनाते सिक्कों की आवाज पर मोहित होकर इनके पीछे उस तरह चल रहे है जैसे एक कहानी में बांसुरी वाले के पीछे चूहे चला करते हैं। एक वरिष्ठ मंत्री जो कि इनकी राह का कांटा था उन्हें निपटाने के लिए लोकसभा भेज दिया गया। जिससे वीआईपी रोड में खुला खेल फर्रुखाबादी चलता रहे। बाकी लक्ष्मी के आगमन पर ‘भगवान’ तो मुस्कुराते ही हैं।
सत्ता-विपक्ष की जुगलबंदी
छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश है जहा सत्ता और विपक्ष के बीच हमेशा बहुत मधुर तालमेल बना रहता है। तुम हमारी मत खोलो और हम तुम्हारी ढकी रखेंगे।
भगवा वाले भैया ‘राहु’ की शांति करवा के जिहादी ताकतों के सामने नतमस्तक हैं। पूरे महादेव एप का बैंड बजा कर पाटन वाले भैया को कोर्ट से पूरी राहत मिलने का इंतजाम कर दिया। जब गृह मंत्री ने खुद कह दिया कि ईडी की जांच प्रमाणिक नही है तो इस बात को तो पाटन वाले भैया को गाजे-बाजे के साथ लपक लेना था लेकिन बोल के सेटिंग कौन बिगाड़े! भैया के सारे राइट-लेफ्ट यहां तक कि बाल सखा भी पुनः पाटन में मनचाहे पद पर सुशोभित हो चुके हैं। सारे अधिकारी मिस्टर ‘A’ के नेतृत्व में पाटन वाले भैया के लिए ही काम कर रहे हैं तो बोल के अपनी सेटिंग क्यों बिगाड़े।
मीडिया की गलबहियां
सत्ता और विपक्ष के साथ छत्तीसगढ़ का मीडिया भी पूरी जुगलबंदी में रहता है। खून यहां पानी हो चुका है! तभी तो बस्तर में नक्सलवाद से लड़ने वाले जवानों को नकली बुलेटप्रूफ जैकेट सप्लाई करने वाले डीजीपी और गुप्ता जी को आज भी माथे का चंदन बना कर रखने वाली सरकार से कोई भी पत्रकार एक सवाल तक नही कर सका। किसी भी मेन स्ट्रीम अखबार या पोर्टल में एक सिंगल लाइन की खबर भी नहीं लगी।
ठीक है साहब, गरीब जवान का खून है बहता है तो बहे। हमें तो हमारी कोठी मुबारक हो। लेकिन पाप का भागी सिर्फ व्याघ्र नही होता जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी इतिहास।
एक हैं सीपीआर
सीपीआर साहब को भी भूपेश मॉडल के तहत ही लाया गया। उनका सीपीआर आईपीएस था तो हमारा भी आईपीएस होना चाहिए। जो पब्लिसिटी मॉडल भूपेश एन्ड कंपनी का था उससे तो आगे हम सोचेंगे ही नहीं। भूपेश मुक्तेश्वरी देवी की तारीफ करते थे तो आप कौशल्या देवी की करवा दो। वो गैडी चढ़ते थे तो आप मांदर बजवा दो। वो विरोध करने वालो के विज्ञापन बंद कर देते थे तो आप भी कर दो। साहब ये अंधी नकल बहुत भारी पड़ने वाली है।
लेकिन साहब, संघ और संघठन के लोगों ने अमित शाह को पूरी रिपोर्ट भेज दी है। संभल जाओ!!!
भूपेश मॉडल पर सरकार
सरकार बदल गई लेकिन हालात वही के वही हैं। यह छत्तीसगढ़ में बीजेपी की तीन महीना की सरकार का परिणाम है, जिसे भाजपा वाले भी मानने लगे हैं। कानून व्यवस्था बेहाल है, नौकरशाही बेलगाम हो चुकी है। कुशासन के अभिनेता को सुशासन की छाप बनाकर लेडी सौम्या की जगह बैठा दिया गया है। तबादलों में खुला लेन-देन और प्रभारवाद से भ्रष्ट लोगों की ताजपोशी धड़ल्ले से जारी है। नवोदित मंत्री तीन महीने में अपने विभाग को समझने की बजाय सुख-सुविधाओं को ढूंढने में लगे हैं। ओएसडी ही मंत्री का काम सम्भाल रहे हैं। मुख्य सचिव एवं ङीजीपी आज भी भूपेश सरकार के जमाने से हैं।
भाजपा की सरकार बनाने में मदद करने वाले सैकड़ों बेदाग़ चेहरे किनारे कर दिए गए हैं। धान की कस्टम बिलिंग का रेट तय नहीं हो सका है। पुराने बकाया की आरा मिलर परेशान हैं। पीएससी के सुधार के नाम पर आयोग के ऊपर आयोग बनाने का कारनामा पूरे देश में अनोखी मिसाल है। भूपेश सरकार के अंत की पटकथा लिखने वाले लाखों कर्मचारी, यहाँ तक कि भाजपा कार्यकर्ता भी नौकरशाही से दबी छत्तीसगढ़ सरकार को ढूंढने में लगे हैं।
भाजपाइयों को पीटने वाले को डीजीपी का संरक्षण
कवर्धा झंडा कांड में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर बेदम लाठी चार्ज करने वाले,आरिफ हुसैन के विश्वस्त सहयोगी एसपी पीटीएस रायपुर इरफान उल हक को कोर्ट ऑर्डर का बहाना लेकर पदभार से स्थानांतरण के बावजूद डीजीपी द्वारा मुक्त नहीं किया गया। केविएट के बाबजूद पिछली गली से पूर्व सरकार में बीजेपी के खिलाफ काम करने वाले अधिकारियो को डीजीपी द्वारा उपकृत किया जा रहा है। एक बड़े भाजपा नेता ने नाम ना छपने की शर्त पर दुखी मन से कहा कि साहब यह पूरे बीजेपी कार्यकर्ताओं के मुंह पर एक तमाचा है!!! झंडा कांड से मंत्री बनने वाले गृह मंत्री इस पर मौन हैं।
संघ को भी नापसंद अधिकारी पूरे बीजेपी संघटन पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।
काहे को सरकार बनाई…
एक पुराना गाना है दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई काहे को दुनिया बनाई… यही गाना पूरे छत्तीसगढ़ के लोग मोदी जी के लिए गा रहे हैं, काहे ऐसी चित्र-विचित्र सरकार बनाई। कोई महादेव एप दबा रहा है तो कोई अकबर-ढेबर की धुन पर आईएएस पोस्टिंग कर रहा है तो कोई होम्योपैथी दुकान में बैठ कर दारू का हिसाब-किताब।
वीआईपी रोड का कलेक्शन सेंटर तो जिंदाबाद है ही।
संघ और संघठन की विचाधारा से तो किसी को मतलब है ही नही। बस नगद नारायण की जय-जय।
फिर मिलेंगे… अगर आपके पास भी कोई इनपुट है तो देना प्लीज।
आपका ‘बिनोद’
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Disclaimer: उपर्युक्त कॉलम में उल्लेखित जानकारी राग-द्वेष से परे विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और पोलिटिकल पार्टीज के नेताओं-कार्यकर्ताओं के कथ्यों पर आधारित है। फिर भी, किसी को किसी बात पर कोई आपत्ति हो तो कृपया bynewsindia.com पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।