Mobile side effects on Children: आजकल बड़ा के साथ बच्चों में भी मोबाइल का उपयोग काफी बढ़ गया है खासतौर से कोरोना काल के बाद से। कोराना काल में बच्चों को ऑनलाइन स्टडी के लिए मोबाइल फोन का उपयोग करना पड़ा। इसके बाद से अब बच्चे अपना ज़्यादा समय मोबाइल पर बिता रहे हैं।
मोबाइल पर ज्यादा रहने की वजह से बच्चे एकाग्र नहीं हो पा रहे हैं, जिसका प्रभाव उनकी पढ़ाई पर पड़ रहा है। कई रिसर्च में यह स्पष्ट हो चुका है कि मोबाइल बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव डालता है। जानते हैं कि मोबाइल का अधिक यूज़ करने से बच्चों की पढ़ाई पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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बच्चों को हो रही अजीब समस्या:
मोबाइल की वजह से बच्चे अपने पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। टीचर द्वारा पढ़ाएं गए विषय उन्हे याद तो रहते है लेकिन उन्हें 30-40 शब्दों को लिखने में भी दिक्कत आ रही है। मोबाइल की लत की वजह से मानसिक दबाव बढ़ता है और परीक्षा में अच्छे नंबर लाना मुश्किल हो जाता है। मोबाइल फोन पर बोलकर चीजें ढूढ़ने की फैसिलिटी के कारण बच्चों की लिखने की आदत कम होती जा रही है।
नहीं कर पा रहे फोकस:
पिछले साल हुए एक सर्वे में पता चला कि बच्चों का अधिकांश समय इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर पढ़ने और गेम खेलने में बिताया जाता है। यह उनकी एकाग्रता को कम करता है। बच्चों द्वारा सोशल मीडिया पर बिताया गया समय पहले से काफी बढ़ गया है। मोबाइल डिवाइस ने मनोरंज को और भी आसान कर दिया है। इंटरनेट पर गेम्स और सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म ने बच्चों को पढ़ाई में ध्यान देना मुश्किल बना दिया है।
मोबाइल का लगातार इस्तेमाल करने की वजह से बच्चों में डिजिटल आई स्ट्रेन या कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम जैसी खतरनाक बीमारिया आम होती जा रही है । आखों में सूखापन, खुजली, लालिमा, पानी आना और रोशनी कम होना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं।
मोबाइल से हो रही मायोपिया बीमारी:
मोबाइल और टीवी का शिक्षा से लेकर मनोरंजन के लिए लगातार उपयोग करने से बच्चों में मायोपिया नाम की बीमारी के मामले सामने आने लगे हैं। मायोपिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें बच्चों को नजदीक की दृष्टि सही रहती है, लेकिन दूर की चीजों को देखने में मुश्किल होती है। जिसके चलते क्लास में बोर्ड पर लिखे हुए अक्षरों को दूर से पढ़ना मुश्किल होता है। जिससे उनकी पढ़ाई भी प्रभावित होती है।
हो रहे वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार:
मोबाइल की वजह से बच्चे के दिमाग पर गलत असर पड़ता है और वे वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार हो सकते हैं। वर्चुअल ऑटिज्म का ज्यादा असर अक्सर 4-5 साल के बच्चों में देखने को मिलता है। मोबाइल फोन, टीवी और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत की वजह से ऐसा होता है। स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों में बोलने और समाज में दूसरों से बातचीत करने में दिकक्त होने लगती है।
ऐसे बचाएं बच्चों को मोबाइल की लत से:
बच्चों को पत्र या कहानी लिखने का काम दे सकते हैं।
- किसी स्थान या घटना के ऊपर लेख लिखने को बोलें ।
- बच्चों से उनकी मनपसंद कविता लिखवाएं।
- बच्चों को उनके मन के विचार लिखने को कहें ।
- छुट्टी के दिनों में लिखने से संबंधित ज्यादा प्रोजेक्ट दें।