Mahashivratri 2024: फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि,इस वर्ष 8 मार्च को देशभर में धूमधाम से मनाई जाएगी। हिन्दू धर्म के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था। इस दिन शिवभक्त शिवालयों में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं तथा व्रत रखते हैं। भोलेनाथ को खुश करने के लिए लोग शिवलिंग पर भांग, धतूरा, बेलपत्र और आक के फूल चढ़ाते हैं।
लेकिन पुराणों और शास्त्रों में बताया गया है कि शिव जी की पूजा में कुछ वस्तुओं का प्रयोग निषेध हैं। माना जाता है कि अगर इनका इस्तेमाल भगवान शिव शंकर की आराधना पूजा करते वक़्त किया जाए तो भोलेनाथ क्रोधित हो सकते हैं। चलिए जानते हैं कि शिव पूजा में किन वस्तुओं का प्रयोग निषेध हैं।
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तुलसी का पत्ता :
शिवपुराण के अनुसार जालंधर की पत्नी वृंदा अत्यंत पतिव्रता स्त्री थी। शिवजी द्वारा अपने पति का वध होने पर वह दुखी होकर तुलसी का पौधा बन गई थी। भगवान शिव को उसने अपने आलौकिक और दैवीय गुणों से मुक्त कर दिया। इसलिए तुलसी का पत्ता शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता हैं।
हल्दी:
सौंदर्य प्रसाधन में हल्दी का प्रयोग किया जाता है। शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है, जबकि हल्दी स्त्री से संबंधित होती है। इसी कारणवश शिवलिंग पर हल्दी को अर्पित करना निषेध मन जाता हैं।
कुछ खास प्रकार के फूल:
हिन्दू शास्त्र में केतकी का फूल शिवलिंग पर अर्पित करना सही नहीं माना गया है। इसके अतिरिक्त कनेर और कमल के फूलों का अर्पण भी निषेध है।शिवलिंग पर लाल फूल चढ़ाना भी वर्जित है। शिवजी को केवल सफेद फूल ही अर्पित करने चाहिए।
शंख:
शिव पुराण में बताया गया है कि भगवान शिव ने शंखचूर नामक एक असुर को मार डाला था। वह असुर, भगवान विष्णु का परम भक्त था, कथाओं के अनुसार शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए भगवान शिव की पूजा में शंख नहीं रखना चाहिए।
रोली,कुमकुम या सिंदूर:
महादेव इस सृष्टि के कर्ता—धर्ता हैं। उन्हे संहार का देवता भी माना जाता हैं। शिवलिंग पर सिंदूर, कुमकुम या रोली भी नहीं लगानी चाहिए। सिंदूर सुहागन होने का प्रतिक है। शादीशुदा महिलाएं सिंदूर लगाकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। यही कारण है कि भगवान शिव को रोली,कुमकुम या सिंदूर चढ़ाना वर्जित माना गया है। शिवजी को चंदन का तिलक लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है।