Green Tax : हिमाचल प्रदेश के बाद अब उत्तराखंड में घुमना महंगा होगा। इसी कड़ी में उत्तराखंड में वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए ग्रीन टैक्स शुरू किया जा रहा है। अब उत्तराखंड में आने वाले दूसरे राज्यों के वाहनों को प्रवेश शुल्क के रूप में ग्रीन सेस चुकाना होगा। पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश की ही तरह अब देवभूमि में भी लोगों को ग्रीन टैक्स देना होगा। सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार ने यह व्यवस्था तय करते हुए अधिसूचना जारी की है। ऐसे में अब यूपी, दिल्ली-एनसीआर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों से उत्तराखंड में घुमने के लिए अधिक रुपए खर्च करना पड़ेगा।
इस लागूू होगा प्रवेश शुल्क
उत्तराखंड में बीते कुछ सालों में आने वाले वाहनों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पर्यटन और चार धाम यात्रा के लिए लोग अपने वाहनों से प्रदेश की यात्रा कर रहे हैं। वाहनों की भारी संख्या के कारण पहाड़ों पर जाम जैसी स्थिति बनी रहती है। ऐसे में अब धामी सरकार ने इन वाहनों से प्रवेश शुल्क के रूप में ग्रीन सेस वसूलने की तैयारी की है। पुष्कर सिंह धामी सरकार की ओर से इस संबंध में शुक्रवार को एक अधिसूचना जारी की गई है।
20 से 80 रुपए वसूला जाएगा
उत्तराखंड सरकार FASTag तकनीक के जरिए टोल प्लाजा पर इस ग्रीन सेस वसूलेगी। इसकी फीस 20 रुपए से 80 रुपए तक की जाएगी। हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहनों और CNG से चलने वाली कारों को इस टैक्स से छूट दी जाएगी। इसका मकसद पर्यावरण-अनुकूल परिवहन विकल्पों को अपनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना बताया जा रहा है।
जानिए क्या होता है ग्रीन टैक्स
ग्रीन टैक्स, जिसे प्रदूषण कर या पर्यावरण कर के रूप में भी जाना जाता है। एक उत्पाद शुल्क है, जिन्हें सरकार उन वस्तुओं पर कर लगाकर एकत्रित करती है, जिससे प्रदूषण फैलता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले साधनों के उपयोग के लिए हतोत्साहित करना है। इससे प्रदूषण कम करने में मदद मिलने की संभावना है। इससे मिलने वाले पैसे को पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण को कम करने वाले कार्यों में खर्च किया जाता है।