छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन ने कांकेर जिले में स्थानीय जनजातीय समाज के कथित धर्मांतरण से जुड़ी घटनाओं पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। एसोसिएशन ने इन घटनाओं को समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय बताते हुए इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है। संगठन का कहना है कि जनजातीय समाज की आस्था, परंपराओं और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करना सभी वर्गों की सामूहिक जिम्मेदारी है और किसी भी प्रकार के दबाव या प्रलोभन के माध्यम से धर्म परिवर्तन स्वीकार्य नहीं है।
छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश भर में फैली उसकी सभी 120 इकाइयाँ इस मुद्दे पर एकजुट हैं। संगठन ने इस विषय पर छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज द्वारा 24 दिसंबर 2025 को आहूत “छत्तीसगढ़ बंद” को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है। एसोसिएशन का कहना है कि यह बंद किसी व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि जनजातीय समाज की धार्मिक स्वतंत्रता और परंपराओं की रक्षा के उद्देश्य से किया जा रहा है।
एसोसिएशन ने अपने सभी सदस्य व्यापारियों से अपील की है कि वे 24 दिसंबर को अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध दर्ज कराएं। संगठन का मानना है कि व्यापारी वर्ग समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और सामाजिक मुद्दों पर उनकी सामूहिक आवाज प्रशासन तक प्रभावी रूप से पहुंच सकती है। इसके साथ ही, एसोसिएशन ने यह भी कहा है कि विरोध पूरी तरह से शांतिपूर्ण और कानून के दायरे में रहकर किया जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा कि कांकेर जिले में सनातनी जनजातीय समाज के खिलाफ कथित रूप से हो रही धर्मांतरण गतिविधियों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। संगठन के अनुसार, यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो यह सामाजिक सौहार्द और सांस्कृतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है। इसी कारण, एसोसिएशन ने प्रशासन से इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर उचित कार्रवाई करने की मांग की है।
एसोसिएशन ने यह भी कहा कि जनजातीय समाज की धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं सदियों पुरानी हैं, जिनका सम्मान किया जाना चाहिए। किसी भी प्रकार के प्रलोभन, दबाव या लालच के माध्यम से धर्म परिवर्तन न केवल सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करता है, बल्कि संवैधानिक मूल्यों के भी विपरीत है। संगठन ने इस मुद्दे पर समाज के सभी वर्गों से जागरूक और संवेदनशील रहने की अपील की है।
प्रदेश स्तर पर इस विषय को लेकर व्यापारिक और सामाजिक संगठनों में भी चर्चा तेज हो गई है। कई संगठनों ने जनजातीय समाज के अधिकारों और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा की बात कही है। छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन का मानना है कि इस तरह के मुद्दों पर समय रहते सामूहिक संवाद और प्रशासनिक हस्तक्षेप आवश्यक है, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद या तनाव की स्थिति उत्पन्न न हो।
एसोसिएशन ने अपने सदस्यों से यह भी आग्रह किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में बंद के दौरान शांतिपूर्ण क्षेत्रीय प्रदर्शन करें और ज्ञापन के माध्यम से प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाएं। संगठन का उद्देश्य न केवल कांकेर जिले में, बल्कि पूरे प्रदेश में इस तरह की कथित गतिविधियों पर रोक लगाने की दिशा में ठोस कदम उठवाना है।
यह प्रेस विज्ञप्ति छत्तीसगढ़ सराफा एसोसिएशन के सचिव प्रकाश गोलछा द्वारा जारी की गई, जिसमें संगठन की ओर से यह स्पष्ट किया गया कि सराफा एसोसिएशन सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर हमेशा सजग रहा है और आगे भी समाजहित में अपनी भूमिका निभाता रहेगा। संगठन ने उम्मीद जताई कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उचित और समयबद्ध कार्रवाई करेगा, ताकि प्रदेश में सामाजिक सौहार्द और आपसी विश्वास बना रहे।
