H-1B Visa: अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (डीएचएस) ने एच-1बी वर्क वीजा कार्यक्रम में बड़ा सुधार किया है। मंगलवार को जारी अंतिम नियम के तहत रैंडम लॉटरी सिस्टम को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। इसकी जगह अब ‘वेटेड सेलेक्शन प्रोसेस’ लागू होगा, जिसमें उच्च वेतन और उच्च कौशल वाले विदेशी पेशेवरों को चयन में अधिक वेटेज मिलेगा। यह बदलाव अमेरिकी श्रमिकों के वेतन, कामकाजी परिस्थितियों और नौकरियों की बेहतर सुरक्षा के लिए किया गया है। नया नियम 27 फरवरी 2026 से प्रभावी होगा और वित्त वर्ष 2027 की एच-1बी कैप रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से लागू होगा।
Table of Contents
H-1B Visa: पुरानी लॉटरी का दुरुपयोग, कम वेतन वाले विदेशी कामगारों को फायदा
डीएचएस के अनुसार, पुरानी रैंडम लॉटरी प्रक्रिया का लंबे समय से दुरुपयोग हो रहा था। कई नियोक्ता इस सिस्टम का फायदा उठाकर कम वेतन पर विदेशी कामगारों को अमेरिका लाते थे, जिससे अमेरिकी कर्मचारियों को नुकसान पहुंचता था। यूएससीआईएस के प्रवक्ता मैथ्यू ट्रैगेसर ने कहा, ‘पुरानी रैंडम सिलेक्शन प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल हो रहा था। कुछ नियोक्ता कम वेतन वाले विदेशी श्रमिकों को आयात करने के लिए इसका शोषण करते थे, जिससे अमेरिकी श्रमिकों को नुकसान हो रहा था।’
ट्रैगेसर ने आगे कहा कि नया वेटेड सिलेक्शन सिस्टम कांग्रेस के मूल उद्देश्य को बेहतर तरीके से पूरा करेगा। इससे अमेरिकी कंपनियां उच्च वेतन और उच्च कौशल वाले विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने के लिए प्रोत्साहित होंगी, जिससे अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मकता मजबूत होगी और अमेरिकी श्रमिकों के हितों की रक्षा भी होगी।
H-1B Visa: वेटेड सिलेक्शन कैसे काम करेगा? वेज लेवल पर आधारित वेटेज
नए नियम के तहत चयन प्रक्रिया अब वेज लेवल पर आधारित होगी। अमेरिकी लेबर डिपार्टमेंट की ऑक्यूपेशनल एम्प्लॉयमेंट एंड वेज स्टैटिस्टिक्स (ओईडब्ल्यूएस) के चार वेज लेवल्स के अनुसार वेटेज दिया जाएगा:
- लेवल 4 (सबसे ऊंचा वेतन): 4 एंट्रीज (चयन की संभावना सबसे अधिक)
- लेवल 3: 3 एंट्रीज
- लेवल 2: 2 एंट्रीज
- लेवल 1 (निम्नतम वेतन): 1 एंट्री
इससे उच्च वेतन वाले आवेदकों की चयन संभावना बढ़ जाएगी, लेकिन सभी वेतन स्तरों के लिए अवसर बने रहेंगे। बेनिफिशियरी-सेंट्रिक मॉडल जारी रहेगा, यानी एक व्यक्ति को कई रजिस्ट्रेशंस से फायदा नहीं मिलेगा।
H-1B Visa: वीजा संख्या में कोई बदलाव नहीं, लेकिन चयन में बड़ा असर
एच-1बी वीजा की वार्षिक संख्या में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सामान्य कैप के तहत 65,000 वीजा और अमेरिकी विश्वविद्यालयों से एडवांस्ड डिग्री वाले आवेदकों के लिए अतिरिक्त 20,000 वीजा उपलब्ध रहेंगे। कुल 85,000 वीजा। हालांकि, नए नियम से उच्च वेतन और उच्च कौशल वाले आवेदकों की चयन दर काफी बढ़ जाएगी। डीएचएस का अनुमान है कि इससे वीजा का वितरण सभी वेज लेवल्स में होगा, लेकिन हायर लेवल्स को अधिक हिस्सा मिलेगा।
यह बदलाव ट्रंप प्रशासन की एच-1बी सुधार नीति का हिस्सा है। प्रशासन ने पहले ही नए एच-1बी आवेदनों पर 100,000 डॉलर की एंट्री फीस लगाई है, जो अदालत में चुनौती का सामना कर रही है।
H-1B Visa: नियोक्ताओं और आवेदकों पर असर, तैयारी की सलाह
नए नियम से नियोक्ताओं को रजिस्ट्रेशन से पहले ही पोजीशन का वेतन स्तर तय करना होगा, जो पहले चयन के बाद होता था। इससे एंट्री-लेवल या कम वेतन वाली पोजीशंस के लिए चयन मुश्किल हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों को वैकल्पिक वीजा विकल्पों (जैसे ओ-1, एल-1) पर विचार करना चाहिए। भारतीय आईटी कंपनियां और टेक फर्म्स, जो एच-1बी पर काफी निर्भर हैं, सबसे अधिक प्रभावित होंगी।
डीएचएस ने कहा कि यह कदम कार्यक्रम की पारदर्शिता और अखंडता बढ़ाएगा। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वेज लेवल सीनियरिटी पर आधारित होते हैं, न कि वास्तविक वेतन पर, इसलिए कई उच्च वेतन वाले आवेदक भी निचले लेवल में आ सकते हैं।
यह सुधार एच-1बी कार्यक्रम को अधिक न्यायसंगत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इससे विदेशी पेशेवरों, खासकर विकासशील देशों से आने वालों के लिए चुनौतियां बढ़ सकती हैं।
यह भी पढ़ें:-
भारत-न्यूजीलैंड FTA पर मुहर: रिकॉर्ड 9 महीनों में पूरा हुआ ऐतिहासिक समझौता
