Fake Doctor: उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के मेडिकल कॉलेज में 3 साल से खुद को हार्ट स्पेशलिस्ट यानी कार्डियोलॉजिस्ट बताकर तैनात एक व्यक्ति फर्जी निकला। आरोपी ने अपने जीजा की एमबीबीएस डिग्री का इस्तेमाल कर नौकरी हासिल की थी, जिसे उसकी बहन ने अदालत और कॉलेज प्रशासन को शिकायत करके उजागर किया। खुलासा होने के बाद आरोपी ने इस्तीफा देकर फरार हो गया। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
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Fake Doctor कैसे पकड़ा गया फर्जी डॉक्टर?
ललितपुर मेडिकल कॉलेज में 3 साल से कार्यरत अभिनव सिंह नामक व्यक्ति पर आरोप है कि उसने अपने बहनोई डॉ. राजीव गुप्ता के नाम की मेडिकल डिग्री का दुरुपयोग कर खुद को हृदय रोग विशेषज्ञ बताकर नौकरी कर ली। उसकी बहन डॉ. सोनाली सिंह ने अमेरिका से एक पत्र लिखकर कॉलेज के प्रधानाचार्य को बताया कि उसका भाई असली डिग्री उपयोग किए बिना ही डॉक्टर बन गया है। इससे कॉलेज प्रशासन और जिला अधिकारियों में हड़कंप मच गया।
शिकायत मिलने के बाद आरोपी ने मां के निधन का बहाना बनाकर इस्तीफा दे दिया और तुरंत गायब हो गया। यह इस्तीफा दो-लाइन का था, जिसमें उसने लिखा कि उसकी मां का देहांत हो गया है; इसलिए वह नौकरी छोड़ रहा है।
Fake Doctor फर्जीवाड़ा कितना बड़ा? जांच में चौंकाने वाले तथ्य
प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई कि अभिनव सिंह ने सन् 2013 में अपने बहनोई के नाम पर अपने फोटो के साथ दस्तावेज़ों में छेड़छाड़ की थी, ताकि वह मेडिकल डिग्री दिखाकर नौकरी कर सके। अभियुक्त ने पहले आईआईटी रुड़की से बीटेक किया और IRS के लिए भी सेलेक्ट हुआ, लेकिन वहां से भागकर ललितपुर आ गया और नौकरी पाई।
मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने बताया है कि अब तक जो भी वेतन और भत्ते आरोपी को दिए गए हैं, उनसे सैलरी वसूली की जाएगी। इसके अलावा एफआईआर दर्ज कराई जाएगी और विस्तृत जांच को प्राथमिकता दी जा रही है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. इम्तियाज अहमद ने बताया कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से मिलकर मामले की छानबीन जारी है।
Fake Doctor क्या यह पहली बार है?
यह मामला स्वास्थ्य क्षेत्र में दस्तावेज़ की जालसाजी और नकली डॉक्टरों से जुड़ी गंभीर चिंताओं को सामने लाता है। देश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां लोग फर्जी मेडिकल डिग्री या प्रमाण पत्र का दुरुपयोग करके सरकारी या निजी स्वास्थ्य सेवाओं में काम कर रहे थे। कुछ राज्यों में तो एमबीबीएस सर्टिफिकेट और FMGE परीक्षा के नकली सर्टिफिकेट के जरिए नौकरी पाने जैसे आरोप भी पाए गए हैं, जिनमें जांच एजेंसियां सक्रिय हैं।
Fake Doctor: मरीजों की सुरक्षा पर सवाल और जांच का दायरा
फर्जी डॉक्टरों की पहचान और ऐसे मामलों का खुलासा होने के बाद मरीजों की सुरक्षा, चिकित्सा सेवा की गुणवत्ता और नियुक्ति प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठते हैं। ललितपुर मामला इसलिए भी चिंताजनक है कि आरोपी ने तीन साल तक मरीजों का इलाज किया, जिससे मरीजों की जान को भी जोखिम हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग अब पिछले वर्षों की नियुक्तियों की जांच कर प्रत्येक दस्तावेज़ की प्रामाणिकता को परखने पर जोर दे रहा है।
प्रशासन की कार्रवाई जारी
फिर चाहे यह मामला बहन की शिकायत से उजागर हुआ हो या कोई अन्य जांच के दौरान पकड़ा गया फर्जी डॉक्टर — दोनों ही स्थितियों में प्रशासन ने कानूनी प्रक्रिया और एफआईआर दर्ज करने की पुष्टि की है। आरोपी पुलिस की तलाश में है और यदि वह पकड़ा जाता है, तो जालसाज़ी, धोखाधड़ी, नौकरी पाने में फर्जी दस्तावेजों का उपयोग जैसी धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग यह भी सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में ऐसी जांचों को और अधिक मजबूत और प्रभावी बनाया जाए ताकि चिकित्सा क्षेत्र की विश्वसनीयता बनी रहे।
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