Child Marriage: मध्य प्रदेश में बाल विवाह की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं, जबकि राज्य सरकार ‘लाड़ली लक्ष्मी’ जैसी योजनाओं को बालिका सशक्तिकरण की बड़ी उपलब्धि के रूप में फैलावा देती है। हालांकि वास्तविकता उससे उलट दिखाई देती है। यह खुलासा तब हुआ जब कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने विधानसभा में महिला एवं बाल विकास विभाग से संबंधित एक सवाल पूछा, जिसके जवाब में 2020 से 2025 तक के मामलों का विस्तृत डाटा सदन में पेश किया गया।
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Child Marriage: हर साल मामलों में निरंतर वृद्धि
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, पिछले छह वर्षों में बाल विवाह के मामले लगभग निरंतर बढ़ते गए हैं। 2020 में 366 मामले दर्ज किए गए, जो 2025 में अब तक 538 तक पहुंच चुके हैं। इस अवधि में कुल 2916 से अधिक बाल विवाह के मामले सामने आए हैं। सभी मामलों में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के विवाह शामिल हैं।
| वर्ष | रिपोर्ट किए गए मामले |
|---|---|
| 2020 | 366 |
| 2021 | 436 |
| 2022 | 519 |
| 2023 | 528 |
| 2024 | 529 |
| 2025 (अब तक) | 538 |
| डाटा: महिला एवं बाल विकास विभाग के जवाब से |
Child Marriage: जिलों के स्तर पर गंभीर स्थिति
सरकार द्वारा दिए गए जिलेवार आंकड़ों से पता चलता है कि कुछ क्षेत्रों में यह समस्या और भी अधिक गहराई से पनप रही है। विशेष रूप से प्रभावित जिलों में राजगढ़, गुना, देवास, रतलाम और छतरपुर शामिल हैं। ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में इस कुप्रथा की झलक स्पष्ट दिखाई देती है।
Child Marriage: राजगढ़ में 44 मामले दर्ज
राजगढ़ जिले में 2025 में अब तक लगभग 44 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि बुंदेलखंड के डामोह जैसे जिलों ने भी चिंताजनक रूप से तीन-आंकड़ा पार कर लिया है। इनमें पारंपरिक सामाजिक रीतियों, गरीबी व शिक्षा की कमी जैसे कई कारण शामिल हैं।
Child Marriage: सरकार की योजनाएँ और असंतुलन
राज्य सरकार ‘लाड़ली लक्ष्मी’ जैसी योजनाओं पर गर्व करती है, जिसका उद्देश्य लड़कियों को आर्थिक तथा शैक्षिक रूप से सशक्त बनाना है। हालांकि, पिछले छह वर्षों में लगातार बढ़ते मामलों से यह स्पष्ट है कि योजनाओं का प्रभाव सीमित रहा। विधानसभा में कांग्रेस के सवाल पर पेश आंकड़ों के बावजूद सरकार की ओर से समस्या की गंभीरता पर ठोस कदमों का कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने कहा कि “सरकार यह दावा करती है कि जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन वास्तविक आंकड़े इसके विपरीत बताते हैं।” उन्होंने कहा कि इन चौंकाने वाले रुझानों को रोकने के लिए और अधिक सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
सरकार की कमतर प्रतिक्रिया और आलोचना
एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना यह भी रही कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को आंकड़ों की जानकारी होने से भी इंकार करना पड़ा। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार के भीतर मुद्दे के प्रति गंभीरता का स्तर और जवाबदेही अब भी अपूर्ण है। राज्य में बाल विवाह की रोकथाम के उपाय-जैसे जागरूकता कार्यक्रम, कानून प्रवर्तन और सामाजिक अभियानों- लागू हैं, लेकिन आंकड़ों की निरंतर वृद्धि यह दर्शाती है कि इन उपायों की पहुंच और प्रभाव क्षमता अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुँच पा रही है।
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