Election Commission: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा के साथ ही सात राज्यों की आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनावों का शेड्यूल जारी होते ही 6 अक्टूबर से चुनावी राज्यों में आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू हो गई है। इसी कड़ी में चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण प्रेस नोट जारी कर सभी राजनीतिक दलों को चेतावनी दी है कि वे प्रचार अभियान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित गलत और भ्रामक वीडियो का इस्तेमाल न करें। आयोग ने जोर देकर कहा कि AI टूल्स से बने ‘डीपफेक’ वीडियो सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैला सकते हैं, जो चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को खतरे में डाल सकता है। बिहार में दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा, जबकि उपचुनाव 11 नवंबर को ही होंगे। वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी। आयोग का यह कदम डिजिटल युग में चुनावी पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
Table of Contents
Election Commission: आदर्श आचार संहिता का विस्तार: सोशल मीडिया पर भी सख्ती
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि MCC के नियम केवल पारंपरिक जमीनी प्रचार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सोशल मीडिया, इंटरनेट और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर साझा की जा रही सामग्री पर भी पूरी तरह लागू होते हैं। आयोग के अनुसार, राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और उनके स्टार प्रचारकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रचार सामग्री में कोई भी ऐसी सामग्री न हो जो भ्रामक हो या विरोधी पक्ष को गलत तरीके से निशाना बनाए। विशेष रूप से AI-जनरेटेड कंटेंट के इस्तेमाल पर नजर रखी जा रही है। आयोग ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान भी AI के दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, और अब बिहार चुनावों में इन्हें और सख्ती से लागू किया जाएगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी के लिए विशेष साइबर सेल सक्रिय हैं, जो हर पोस्ट और वीडियो की जांच करेंगे।
Election Commission: प्रचार की सीमाएं: नीतियों तक ही आलोचना, निजी हमले निषिद्ध
आयोग ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि किसी भी पार्टी या उम्मीदवार की आलोचना केवल उनकी नीतियों, कार्यक्रमों, पूर्व रिकॉर्ड और कार्यों तक ही सीमित रहे। निजी जीवन, जाति, धर्म या व्यक्तिगत हमलों पर कोई टिप्पणी करना पूरी तरह निषिद्ध है। इसके अलावा, बिना पुष्टि के आरोप लगाना या किसी जानकारी को तोड़-मरोड़कर पेश करना MCC का उल्लंघन माना जाएगा। आयोग ने चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई की जाएगी, जिसमें उम्मीदवारों की नामांकन रद्द करने से लेकर कानूनी सजा तक शामिल हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दिशा-निर्देश चुनावी बहस को स्वस्थ रखने में मदद करेंगे, जहां मुद्दों पर फोकस रहे न कि व्यक्तिगत हमलों पर।
Election Commission: डीपफेक वीडियो पर चिंता: गलत सूचना का खतरा
चुनाव आयोग ने गहरी चिंता जताई है कि कुछ असामाजिक तत्व AI टूल्स का इस्तेमाल कर ‘डीपफेक’ वीडियो बना रहे हैं, जो विरोधी नेताओं को बदनाम करने या गलत बयान दिखाने के लिए इस्तेमाल हो सकते हैं। ऐसे वीडियो वायरल होने से मतदाताओं में भ्रम पैदा हो सकता है और चुनावी माहौल दूषित हो सकता है। आयोग ने उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले चुनावों में बॉलीवुड सितारों के डीपफेक वीडियो वायरल हुए थे, जिससे गंभीर मुद्दा उठा था। अब बिहार में 7.4 करोड़ से अधिक मतदाता हैं, और डिजिटल प्रचार का दबदबा बढ़ रहा है, इसलिए AI के दुरुपयोग को रोकना जरूरी है। आयोग ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे अपने कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दें ताकि ऐसी सामग्री का प्रसार न हो।
टैगिंग अनिवार्य: AI कंटेंट पर स्पष्ट चेतावनी
सबसे महत्वपूर्ण निर्देश AI-जनरेटेड या डिजिटली बदले गए कंटेंट के लिए है। आयोग ने कहा कि यदि कोई दल या उम्मीदवार ऐसा कंटेंट पोस्ट करता है, तो उस पर स्पष्ट टैग लगाना अनिवार्य होगा। टैग में ‘AI-Generated’, ‘Digitally Enhanced’ या ‘Synthetic Content’ जैसे शब्द बड़े अक्षरों में लिखे जाने चाहिए। इससे मतदाताओं को तुरंत पता चल जाएगा कि सामग्री वास्तविक नहीं है। आयोग ने जोर दिया कि बिना टैग के पोस्ट करना MCC का उल्लंघन होगा। यह नियम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे X, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लागू होगा। विशेषज्ञों ने सराहना की कि यह कदम डीपफेक डिटेक्शन को आसान बनाएगा और जनता को सशक्त करेगा।
यह भी पढ़ें:-
रेल यात्रियों के लिए गुड न्यूज: अब कंफर्म टिकट की बदल सकेंगे तारीख, जानें क्या होंगे नियम