Naxalites Surrender: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र नारायणपुर में एक बड़ा झटका लगा है। बुधवार को 16 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए। इनमें सात महिला नक्सली भी शामिल हैं। इनके सरेंडर पर कुल 70 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह घटना नक्सली संगठन के लिए करारा प्रहार मानी जा रही है। पुलिस अधीक्षक कार्यालय परिसर में आयोजित सामूहिक सरेंडर कार्यक्रम में ये नक्सली मुख्यधारा में लौटने की शपथ लें। प्रत्येक को 50,000 रुपये का प्रोत्साहन चेक सौंपा गया।
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Naxalites Surrender: सरेंडर का विवरण
सरेंडर करने वालों में पीएलजीए मिलिट्री कंपनी नंबर 1 के उप कमांडर पोडिया मार्कम उर्फ रतन उर्फ फग्नू प्रमुख हैं। इनका इनाम 8 लाख रुपये था। इसी कंपनी के सदस्य मनोज दुग्गा उर्फ संकर उर्फ शंकर भी शामिल हैं, जिनके सिर पर भी 8 लाख का इनाम था। अन्य नामों में सुमित्रा उर्फ सनी कुरसम, मड्डू कुनजाम, रवि वड्डे, करे कोर्राम, वनिला फरसा और श्री गावड़े उर्फ दिवाकर शामिल हैं। शेष आठ नक्सली माड़ डिवीजन, कुटुल एलजीएस, जनताना सरकार टीम और मिलिशिया सदस्य हैं। इनमें कई महिलाएं हैं। सभी के सिर पर औसतन 8 लाख का इनाम था।
Naxalites Surrender: नक्सली संगठन में शोषण की पोल खुली
पूछताछ में नक्सलियों ने संगठन के अंदर व्याप्त शोषण का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि वरिष्ठ नेता आदिवासियों को समानता, जल-जंगल-जमीन और न्याय के नाम पर गुमराह करते हैं, लेकिन वास्तव में उन्हें गुलाम बनाते हैं। महिलाओं का हाल और बुरा है-उन्हें ‘व्यक्तिगत दासियों’ की तरह शारीरिक और मानसिक शोषण का शिकार बनाया जाता है। एक सरेंडर नक्सली ने कहा, टॉप लीडर आदिवासियों के सबसे बड़े दुश्मन हैं। वे झूठी प्रचार से हमें बेवकूफ बनाते हैं।
Naxalites Surrender: सरकार की नीति का असर
यह सरेंडर छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति का परिणाम है। नारायणपुर और अबूझमाड़ के आंतरिक इलाकों में सुरक्षा बलों के कैंप स्थापित होने से पुलिस का दबदबा बढ़ा है। सड़कें, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसी विकास योजनाओं ने स्थानीय आदिवासियों का विश्वास जीता है। एक सरेंडर महिला नक्सली ने बताया, सरकार विकास ला रही है, जबकि नक्सली हमारे सपनों को कुचलते हैं। अब हम मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं।
Naxalites Surrender: 2025 में अब तक का आंकड़ा
इस साल नारायणपुर जिले में कुल 192 नक्सली (प्रमुख और लघु कैडर) सरेंडर कर चुके हैं। यह आंकड़ा नक्सली संगठन की जड़ें कमजोर होने का संकेत है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों की संयुक्त कार्रवाइयों ने माओवादी संगठन को बुरी तरह प्रभावित किया है।
अधिकारियों के बयान:
नारायणपुर एसपी रॉबिन्सन गुडिया ने कहा, अबूझमाड़ के दुर्गम जंगलों के मूल निवासियों को नक्सली विचारधारा से बचाना हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य है। शांति और विकास स्थापित करना प्राथमिकता है। सभी नक्सली भाइयों-बहनों से अपील है कि बाहरी नेताओं की झूठी विचारधारा छोड़ें, सरकारी पुनर्वास नीति अपनाएं और सामान्य जीवन जिएं। बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने कहा, 2025 में सुरक्षाबलों ने माओवादी संगठनों के शीर्ष नेतृत्व को भारी नुकसान पहुंचाया। प्रतिबंधित सीपीआई (माओइस्ट) के पास अब हिंसा छोड़कर सरेंडर करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। सभी से हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल होने की अपील।
पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू
सरेंडर नक्सलियों का पुनर्वास प्रक्रिया तुरंत शुरू हो गई है। सरकार की नीति के तहत उन्हें प्रोत्साहन राशि, आवास, शिक्षा और रोजगार की सुविधाएं मिलेंगी। जिला पुलिस उन्हें सामान्य जीवन जीने और समाज की सेवा करने के लिए तैयार कर रही है। एसपी गुडिया ने जोर दिया कि ये पूर्व नक्सली अब विकास के सिपाही बनेंगे।
नक्सलवाद पर प्रहार जारी
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा कैंप बढ़ाने और विकास कार्य तेज करने का फैसला लिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी सरेंडर घटनाएं नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में मील का पत्थर हैं। आदिवासी समुदायों में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, ताकि युवा नक्सली जाल में न फंसें।
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