Vijay Kumar Malhotra Passes Away: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली बीजेपी के संस्थापक अध्यक्ष प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा का सोमवार को 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। दिल्ली के एम्स अस्पताल में लंबे समय से भर्ती चल रहे मल्होत्रा का निधन राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर ला दिया है। दिलचस्प बात यह है कि रविवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में मल्होत्रा का जिक्र किया था, जो उनके योगदान को सम्मानित करने जैसा था। उनका निधन न केवल बीजेपी बल्कि पूरे भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति माना जा रहा है।
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Vijay Kumar Malhotra Passes Away: जन्म और प्रारंभिक जीवन
विजय कुमार मल्होत्रा का जन्म 3 दिसंबर 1931 को लाहौर, पंजाब (अब पाकिस्तान) में एक साधारण परिवार में हुआ था। वे प्रसिद्ध कविराज खजान चंद के सात बच्चों में चौथे थे। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया, और दिल्ली में बस गया। मल्होत्रा ने अपनी शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। वे हिंदी साहित्य के विद्वान थे और उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त थी। राजनीति में प्रवेश से पहले वे शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय थे, लेकिन जल्द ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए, जो उनके राजनीतिक सफर की नींव बनी। मल्होत्रा का जीवन संघर्ष, समर्पण और सेवा का प्रतीक था। उन्होंने कभी भी सत्ता के लालच में नहीं पड़े, बल्कि हमेशा सिद्धांतों पर अडिग रहे।
Vijay Kumar Malhotra Passes Away: राजनीतिक सफर की शुरुआत
मल्होत्रा का राजनीतिक करियर 1970 के दशक में जोर पकड़ा। वे 1972 से 1975 तक दिल्ली प्रदेश जनता संघ के अध्यक्ष रहे। जनता पार्टी के दौर में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1977 में जब बीजेपी का गठन हुआ, तो मल्होत्रा को दिल्ली इकाई का पहला अध्यक्ष बनाया गया। वे 1977-1980 और 1980-1984 तक इस पद पर रहे। उनके नेतृत्व में दिल्ली बीजेपी ने मजबूत आधार तैयार किया। मल्होत्रा ने संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत किया, जिससे पार्टी ने दिल्ली में अपनी पहचान बनाई। वे हमेशा कार्यकर्ताओं के बीच प्रेरणा स्रोत बने रहे। उनके भाषणों में साहित्यिक छाप साफ झलकती थी, जो श्रोताओं को बांध लेती थी।
Vijay Kumar Malhotra Passes Away: चुनावी सफलताओं का सिलसिला
मल्होत्रा की सबसे बड़ी राजनीतिक उपलब्धि 1999 के लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को भारी मतों से हराना था। नई दिल्ली सीट से लड़े इस चुनाव में उन्होंने 1 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की, जो बीजेपी के लिए ऐतिहासिक था। कुल मिलाकर, पिछले 45 वर्षों में उन्होंने दिल्ली से पांच बार सांसद और दो बार विधायक के रूप में सेवा की। 2004 के लोकसभा चुनाव में वे दिल्ली से बीजेपी के इकलौते विजयी उम्मीदवार थे। इन जीतों ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। मल्होत्रा ने संसद में शिक्षा, खेल और सामाजिक न्याय पर कई महत्वपूर्ण बहसें छेड़ीं। उनकी साफ-सुथरी छवि ने विपक्ष को भी प्रभावित किया। वे कभी विवादों से दूर रहे और हमेशा रचनात्मक विमर्श को प्राथमिकता दी।
खेल और शिक्षा में योगदान
राजनीति के अलावा मल्होत्रा खेल प्रशासन के भी स्तंभ थे। वे दिल्ली के शतरंज और तीरंदाजी क्लबों के संरक्षक रहे। भारतीय ओलंपिक संघ में उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही। शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका योगदान सराहनीय था। एक प्रोफेसर के रूप में उन्होंने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया। हिंदी साहित्य पर उनकी रचनाएं आज भी पढ़ी जाती हैं। मल्होत्रा का मानना था कि राजनीति सेवा का माध्यम है, न कि सत्ता का। उन्होंने युवाओं को खेल और शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का संदेश दिया।
नेताओं के शोक संदेश
मल्होत्रा के निधन पर बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, प्रो. मल्होत्रा का योगदान अविस्मरणीय है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, एक सच्चे समाजसेवी का निधन हुआ। पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने उन्हें ‘दिल्ली बीजेपी के पितामह’ कहा। पूरा राजनीतिक वर्ग उनके निधन से स्तब्ध है।
अंतिम संस्कार की व्यवस्था
मल्होत्रा का अंतिम संस्कार मंगलवार सुबह दिल्ली के निगम बॉडी दाह संस्कार गृह, नजफगढ़ रोड में किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को बीजेपी मुख्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे। प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा का निधन एक युग का अंत है। उनके सिद्धांत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।
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