Jitiya Vrat 2025: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बिहार के मुजफ्फरपुर में जितिया व्रत की धूम रही। इस पावन अवसर पर हजारों महिलाओं ने अपने बच्चों की लंबी आयु, सुख और समृद्धि के लिए निर्जला उपवास रखा। शहर के प्रमुख मंदिरों और शिवालयों में सुबह से देर रात तक पूजा-अर्चना, कथा-श्रवण और भक्ति भजनों का दौर चला। संतोषी माता मंदिर, बाबा गरीबनाथ मंदिर और अन्य देवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली, जहां महिलाएं भक्ति में लीन होकर मां जितिया की पूजा-अर्चना में जुटी रहीं।
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Jitiya Vrat 2025: जितिया व्रत की कथा और महत्व
संतोषी माता मंदिर में पंडित राम श्रेष्ठ झा ने जितिया व्रत की कथा सुनाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने जीवित्पुत्र की कथा के महत्व को समझाते हुए कहा, “यह व्रत संतान की रक्षा और उनके सुखमय जीवन के लिए किया जाता है। यह माताओं की निस्वार्थ भक्ति और त्याग का प्रतीक है।” कथा में चील और सियार की कहानी का जिक्र हुआ, जो व्रत के नियमों और अनुशासन का महत्व दर्शाती है। पंडित झा ने बताया कि चील ने ब्राह्मण से कथा सुनकर व्रत के नियमों का पालन किया, जिससे उसके बच्चे स्वस्थ और सुरक्षित रहे। वहीं, सियार ने व्रत तोड़कर भोजन किया, जिसके परिणामस्वरूप उसके बच्चों की मृत्यु हो गई। बाद में चील के मार्गदर्शन पर सियार ने नियमपूर्वक व्रत किया, जिससे उसके बच्चे पुनर्जनन पा गए। यह कथा श्रद्धालुओं को धैर्य, विश्वास और अनुशासन का संदेश देती है।
Jitiya Vrat 2025: निर्जला उपवास का कठिन संकल्प
देवी मंदिर के प्रधान पुजारी डॉ. धर्मेंद्र तिवारी ने बताया कि जितिया व्रत अत्यंत कठिन और पवित्र है। यह निर्जला उपवास होता है, जिसमें महिलाएं बिना जल और अन्न ग्रहण किए पूरे दिन उपवास रखती हैं। उन्होंने कहा, “यह व्रत केवल शारीरिक अनुशासन ही नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता का भी प्रतीक है। कथा सुनने और नियमों का पालन करने से माताओं को अपनी संतान के लिए विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।” डॉ. तिवारी ने बताया कि कथा लंबी और प्रेरणादायक है, जो श्रद्धालुओं को धैर्य और विश्वास का पाठ पढ़ाती है। मंदिरों में रात 9 बजे तक पूजा-अर्चना और कथा-श्रवण का सिलसिला जारी रहा।
Jitiya Vrat 2025: मंदिरों में भक्ति का माहौल
मंदिर परिसरों को फूलों, दीपों और रंगोली से सजाया गया था। भक्ति भजनों और मंत्रोच्चार से वातावरण भक्तिमय हो उठा। संतोषी माता मंदिर में महिलाओं ने मां जितिया की विशेष पूजा की और अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। बाबा गरीबनाथ मंदिर में भी श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी गईं। एक श्रद्धालु, रीता देवी ने कहा, “यह व्रत मेरे लिए मेरे बच्चों की सुरक्षा का प्रतीक है। हर साल मैं पूरे मन और श्रद्धा से इस व्रत को करती हूं।” अन्य महिलाओं ने भी बताया कि यह व्रत उनके लिए संतान के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को व्यक्त करने का माध्यम है।
जितिया व्रत का सामाजिक महत्व
जितिया व्रत का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। यह माताओं के त्याग और ममता को दर्शाता है, जो अपनी संतान की भलाई के लिए कठिन तप करती हैं। मंदिरों में कथा-श्रवण के दौरान महिलाएं एक-दूसरे के साथ अपने अनुभव साझा करती हैं, जिससे सामुदायिक एकता को बल मिलता है। स्थानीय निवासी अनीता कुमारी ने कहा, जितिया व्रत हमें एकजुट करता है। हम सभी माताएं अपने बच्चों के लिए एक ही प्रार्थना करती हैं। यह पर्व हमारी संस्कृति का गौरव है।
मुजफ्फरपुर में उत्साह का माहौल
मुजफ्फरपुर के विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। महिलाओं ने मंदिरों में दीप प्रज्वलन, पुष्प अर्पण और हवन जैसे अनुष्ठान किए। कई महिलाओं ने घरों में भी पूजा-स्थल सजाकर जितिया माता की पूजा की। स्थानीय पंडितों ने बताया कि इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो लोगों की आस्था और विश्वास को दर्शाता है। देर रात तक मंदिरों में भक्ति भजनों का दौर चलता रहा, और श्रद्धालु मां जितिया से आशीर्वाद मांगते रहे।