Nepal Protests: नेपाल की सड़कों पर युवा पीढ़ी का गुस्सा फूट पड़ा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ ‘Gen-Z रिवॉल्यूशन’ ने हिंसक रूप धारण कर लिया है। काठमांडू समेत कई शहरों में प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन परिसर में घुसपैठ की कोशिश की, जिसके जवाब में पुलिस ने आंसू गैस, वाटर कैनन और रबर बुलेट्स का इस्तेमाल किया। इस बवाल में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 300 से अधिक घायल बताए जा रहे हैं। देर रात सरकार ने सोशल मीडिया बैन हटा लिया, लेकिन प्रदर्शनकारियों का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा।
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Nepal Protests: प्रदर्शन की शुरुआत और कारण
सोमवार सुबह 9 बजे काठमांडू के मैतिघर मंडला में हजारों युवा इकट्ठा हुए। वे फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब, एक्स (पूर्व ट्विटर) समेत 26 प्लेटफॉर्म्स पर लगे बैन के खिलाफ नारे लगा रहे थे। सरकार ने 4 सितंबर को यह बैन लगाया था, क्योंकि इन कंपनियों ने संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में पंजीकरण नहीं कराया। मंत्रालय ने 28 अगस्त से 7 दिन का समय दिया था, लेकिन बड़ी कंपनियां समय पर पालन नहीं कर पाईं। सरकार का दावा है कि यह कदम फेक न्यूज, साइबर क्राइम और घृणा फैलाने वाली सामग्री रोकने के लिए था। लेकिन युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया।
Nepal Protests: ‘सोशल मीडिया बैन तो ट्रिगर है’
एक 23 वर्षीय छात्र अंकित भंडारी ने कहा, सोशल मीडिया बैन तो ट्रिगर है, असली मुद्दा भ्रष्टाचार है। हम टैक्स देते हैं, लेकिन पैसा कहां जाता है? नेताओं के बच्चे लग्जरी लाइफ जीते हैं, जबकि हम गरीबी में सांस ले रहे हैं। टिकटॉक पर वायरल वीडियो में नेताओं के बच्चों की शानदार जिंदगी दिखाई गई, जो युवाओं के गुस्से को भड़काने का काम कर रहा था। एक टिकटॉक अकाउंट ‘न्यू नेपाल’ ने 8 सितंबर की तस्वीर के साथ संसद भवन जलाने की अपील की, जिसमें जलते भवन और दमकल की फोटो शामिल थी। यह पोस्ट ने आंदोलन को और भड़का दिया।
प्रदर्शन केवल बैन तक सीमित नहीं रहा। Gen-Z, जो 1995-2010 के बीच पैदा हुए युवा हैं, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता के खिलाफ उतर आए। नेपाल की 40% आबादी 25 वर्ष से कम उम्र की है, और 90% लोग इंटरनेट यूजर हैं। यहां प्रति व्यक्ति आय मात्र 1,300 डॉलर है, जबकि लाखों युवा विदेशों में काम की तलाश में जाते हैं। श्रीलंका और बांग्लादेश के युवा आंदोलनों से प्रेरित होकर नेपाली युवा ‘न्यू नेपाल’ की मांग कर रहे हैं।
हिंसा का दौर
दोपहर तक प्रदर्शनकारी संसद परिसर पहुंच गए। उन्होंने बैरिकेड तोड़े और एक एंबुलेंस को आग लगा दी। पुलिस ने वाटर कैनन, आंसू गैस और रबर बुलेट्स से जवाब दिया। काठमांडू के नेशनल ट्रॉमा सेंटर में 8 मौतें हुईं, जबकि एवरेस्ट हॉस्पिटल में 3। इटहरी में 2 और मौतें दर्ज की गईं। कुल 347 घायलों का इलाज चल रहा है। एक अस्पताल अधिकारी रंजना नेपाल ने कहा, आंसू गैस अस्पताल में घुस गई, डॉक्टरों को काम करने में दिक्कत हुई। ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा।
Nepal Protests: न्यू बनेश्वर क्षेत्र में कर्फ्यू
काठमांडू जिला प्रशासन ने न्यू बनेश्वर क्षेत्र में कर्फ्यू लगाया, जो शाम 12:30 बजे से रात 10 बजे तक प्रभावी रहा। सेना तैनात कर दी गई। पोखरा, बिराटनगर, भरतपुर, इटहरी और दमक जैसे शहरों में भी प्रदर्शन फैल गए। पूर्व-पश्चिम राजमार्ग पर टायर जलाए गए। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के दमक स्थित आवास पर पथराव हुआ। विपक्षी दलों ने ओली का इस्तीफा मांगा।
सरकार का जवाब और इस्तीफा
शाम को आपात कैबिनेट बैठक में गृह मंत्री रमेश लेखक ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया। संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने कहा, Gen-Z की मांगों को ध्यान में रखते हुए बैन हटा लिया गया। प्लेटफॉर्म्स धीरे-धीरे बहाल होंगे। ओली ने मृतकों के परिवारों को मुआवजा और घायलों को मुफ्त इलाज का ऐलान किया। उन्होंने हिंसा के लिए ‘इनफिल्ट्रेटर्स’ को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन स्पष्ट नहीं किया।संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने ‘अत्यधिक बल प्रयोग’ की निंदा की और जांच की मांग की। ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, फ्रांस, जापान, कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के दूतावासों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समर्थन किया। भारत ने नेपाल सीमा पर सतर्कता बरती, सशस्त्र सीमा बल ने निगरानी बढ़ा दी।
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