India GDP: भारत की अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 7.8% की रियल जीडीपी वृद्धि दर्ज की, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6.5% थी। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने शुक्रवार, 29 अगस्त 2025 को यह डेटा जारी किया। यह वृद्धि अनुमानों (6.6%-7%) को पीछे छोड़ते हुए भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनाए रखती है, भले ही अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाया हो। NSO के अनुसार, रियल जीडीपी ₹47.89 लाख करोड़ रही, जो पिछले साल ₹44.42 लाख करोड़ थी। नॉमिनल जीडीपी 8.8% बढ़कर ₹86.05 लाख करोड़ हो गई, जो पिछले वर्ष ₹79.08 लाख करोड़ थी।
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India GDP: सर्विसेज सेक्टर का शानदार प्रदर्शन
वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में सर्विसेज सेक्टर ने 9.3% की रियल ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) वृद्धि के साथ अर्थव्यवस्था को गति दी। यह पिछले वर्ष की समान तिमाही में 6.8% थी। ‘पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, डिफेंस और अन्य सेवाओं’ में करीब 10% की वृद्धि दर्ज की गई, जो सरकारी खर्च में बढ़ोतरी को दर्शाता है। वित्त, रियल एस्टेट, और प्रोफेशनल सर्विसेज ने भी 7.3% की मजबूत वृद्धि दिखाई। यह प्रदर्शन शहरी मांग, डिजिटल लेनदेन, और FMCG बिक्री में वृद्धि से समर्थित है, जिसमें अप्रैल-जुलाई में यात्री वाहन बिक्री पिछले वर्षों की तुलना में 21% अधिक रही।
India GDP: कृषि और द्वितीय क्षेत्र की भूमिका
कृषि और संबद्ध क्षेत्रों ने 3.7% की रियल GVA वृद्धि दर्ज की, जो पिछले वर्ष की 1.5% से दोगुनी से अधिक है। खरीफ बुवाई में वृद्धि, अनुकूल मानसून, और ग्रामीण वास्तविक मजदूरी में तेजी ने इस क्षेत्र को बल दिया। द्वितीय क्षेत्र (मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन) ने 7.5% की वृद्धि दिखाई। मैन्युफैक्चरिंग ने 7.7% और कंस्ट्रक्शन ने 7.6% की वृद्धि दर्ज की, जो बुनियादी ढांचा निवेश और शहरी विकास को दर्शाता है। हालांकि, खनन और क्वारिंग (-3.1%) और बिजली, गैस, जल आपूर्ति (0.5%) जैसे क्षेत्रों में बाढ़ के कारण वृद्धि प्रभावित हुई।
India GDP: उपभोग और निवेश में संतुलित वृद्धि
मांग पक्ष पर निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE) 7% की दर से बढ़ा, जो पिछले वर्ष की 8.3% से कम है, लेकिन GDP में इसका हिस्सा 60.3% रहा, जो 15 साल में पहली तिमाही का उच्चतम स्तर है। सरकारी अंतिम उपभोग व्यय (GFCE) नॉमिनल टर्म में 9.7% बढ़ा, जो पिछले वर्ष की 4% वृद्धि से कहीं अधिक है। ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (GFCF) ने 7.8% की वृद्धि दर्ज की, जिसमें केंद्रीय सरकार का पूंजीगत व्यय पिछले तीन वर्षों के औसत से 30.1% अधिक रहा। निजी निवेश में भी सुधार दिखा, क्योंकि Q1 में नए निवेश की घोषणाएं साल-दर-साल 3.3 गुना बढ़ीं।
India GDP: अमेरिकी टैरिफ का सीमित प्रभाव
अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था ने लचीलापन दिखाया। S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को ‘BBB-’ से ‘BBB’ में अपग्रेड किया, जो नीतिगत स्थिरता और बुनियादी ढांचा निवेश को दर्शाता है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि टैरिफ का प्रभाव 20-90 बेसिस पॉइंट तक सीमित रहेगा, क्योंकि भारत यूएई, सऊदी अरब, और यूरोप जैसे नए बाजारों में निर्यात बढ़ा रहा है। यूके और ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौते भी निर्यात को बढ़ावा देंगे।
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