Terrorist Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद देश में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर हलचल तेज हो गई है। इस हमले में अब तक 28 लोगों की दर्दनाक मौत हो चुकी है जबकि 10 अन्य घायल हैं, जिनका इलाज अस्पताल में जारी है। हमले के अगले ही दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली स्थित अपने आवास 7-लोक कल्याण मार्ग पर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की एक आपात बैठक बुलाई, जो करीब ढाई घंटे तक चली। इस बैठक में भारत की सुरक्षा स्थिति और पहलगाम हमले के जवाब में उठाए जाने वाले कदमों पर विस्तृत चर्चा की गई।
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सिंधु जल संधि और वीजा रद्द करने का आदेश
सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क के तहत जारी किए गए सभी वीजा छूट रद्द करने का फैसला भी किया है। इसके अलावा भारत में मौजूद पाकिस्तानी दूतावास को बंद करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। केंद्र सरकार ने पाकिस्तानी राजनयिकों को 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का निर्देश दिया है। इस फैसले के साथ ही अटारी बॉर्डर चेकपोस्ट को भी बंद किया जाएगा, जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच जमीनी संपर्क भी समाप्त हो जाएगा। ये सभी फैसले भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए लिए गए हैं।
Terrorist Attack: पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई CCS की अहम बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, पीएम के प्रधान सचिव, कैबिनेट सचिव, RAW प्रमुख, IB प्रमुख और विदेश सचिव सहित कई शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में इस हमले को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बताया गया और इसके पीछे जिम्मेदार आतंकियों और उनके मददगारों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की रणनीति पर सहमति बनी।
Terrorist Attack: आतंकियों के सफाए का प्लान तैयार
सूत्रों के मुताबिक, CCS की बैठक में आतंकियों के ठिकानों को चिन्हित कर सीमापार और सीमा के भीतर एक संगठित जवाबी कार्रवाई की रूपरेखा पर भी चर्चा हुई। साथ ही यह भी तय किया गया कि भविष्य में इस प्रकार के हमलों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए खुफिया तंत्र और सीमा सुरक्षा को और अधिक मजबूत किया जाएगा।
Terrorist Attack: क्या है कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी?
कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) भारत सरकार की सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा समिति मानी जाती है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा नीति, आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद जैसे विषयों पर नीतिगत फैसले लेती है। इस समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और इसके सदस्य गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री होते हैं। हालांकि इसका कोई संवैधानिक आधार नहीं है, फिर भी यह समिति भारत की सुरक्षा व्यवस्था के संचालन में केंद्रीय भूमिका निभाती है।
जम्मू-कश्मीर में भी तेज हुई सुरक्षा गतिविधियां
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जहां उच्च स्तरीय रणनीतिक बैठकें चल रही थीं, वहीं जम्मू-कश्मीर में भी उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक आपात सुरक्षा समीक्षा बैठक की। इस बैठक में उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार इस हमले का करारा जवाब देने के लिए प्रतिबद्ध है और दोषियों को हर हाल में न्याय के कठघरे में लाया जाएगा।
जांच में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी
मनोज सिन्हा ने बताया कि इस हमले की जांच में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी और हर सुराग की बारीकी से जांच की जाएगी। साथ ही उन्होंने कल गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई हाई लेवल मीटिंग में दिए गए निर्देशों को तेजी से लागू करने पर बल दिया।
पाकिस्तान पर भी उठे सवाल
इस बीच, पाकिस्तान सरकार ने हमले में हुई जानमाल की हानि पर केवल ‘चिंता’ जताई, लेकिन इसे आतंकवादी हमला कहने से परहेज किया। विदेश कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि वे अनंतनाग जिले में पर्यटकों की मौत पर चिंतित हैं और मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं। हालांकि, पाकिस्तान की ओर से हमले की खुलकर निंदा नहीं की गई, जिससे एक बार फिर उसकी भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं।
भारत की संप्रभुता और आंतरिक सुरक्षा को चुनौती
पहलगाम में हुआ हमला न सिर्फ निर्दोष नागरिकों पर हमला था, बल्कि भारत की संप्रभुता और आंतरिक सुरक्षा को चुनौती देने वाला एक कायराना कृत्य भी था। प्रधानमंत्री की अगुवाई में हुई CCS बैठक और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की समीक्षा बैठक इस बात का संकेत हैं कि भारत सरकार अब इस तरह की घटनाओं को और सहन नहीं करेगी। आने वाले दिनों में आतंकियों और उनके संरक्षकों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की संभावना प्रबल हो गई है।
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