MSP: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में किसानों और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए दो बड़े फैसले लिए गए। केंद्र सरकार ने कच्चे जूट के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 315 रुपये की बढ़ोतरी करते हुए इसे 2025-26 विपणन सत्र के लिए 5,650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) को अगले पांच वर्षों के लिए जारी रखने को भी मंजूरी दी गई है। कच्चे जूट की एमएसपी में 315 रुपये की बढ़ोतरी और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को जारी रखने का फैसला केंद्र सरकार के किसानों और स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह कदम जूट किसानों की आय बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में अहम साबित होगा।
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जूट किसानों को मिली राहत
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि जूट किसानों के हित में सरकार ने एमएसपी बढ़ाने का फैसला लिया है। 2025-26 के लिए एमएसपी को 5,650 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ा दिया गया है, जो पिछले साल के 5,335 रुपये प्रति क्विंटल से 315 रुपये अधिक है। पीयूष गोयल ने कहा, मोदी सरकार ने लागत और लाभ के आधार पर एमएसपी तय करने की नीति को अपनाया है। केंद्र सरकार की ओर से यह सुनिश्चित किया गया है कि किसानों को उनकी लागत से 50% से अधिक का लाभ मिले। उन्होंने कहा कि इस साल एमएसपी में की गई वृद्धि लगभग 6% है, जो कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए की गई है।
क्यों बढ़ाई गई एमएसपी?
भारत में करीब 40 लाख किसान परिवारों की आजीविका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जूट उद्योग पर निर्भर करती है। जूट उत्पादन और व्यापार से जुड़े लगभग 4 लाख श्रमिकों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है। भारत के जूट किसानों का 82% हिस्सा पश्चिम बंगाल में है, जबकि असम और बिहार में 9-9% जूट उत्पादन होता है। जूट का उत्पादन मुख्यतः पश्चिम बंगाल, असम और बिहार जैसे राज्यों में होता है। सरकार का कहना है कि एमएसपी बढ़ाने का उद्देश्य जूट किसानों को प्रोत्साहन देना है, ताकि वे अपनी उपज का अधिक मूल्य प्राप्त कर सकें।
जूट उद्योग के लिए सरकार की पहल
पिछले साल कच्चे जूट का एमएसपी 285 रुपये बढ़ाया गया था, जो 2024-25 के लिए 5,335 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। इस बार की बढ़ोतरी 315 रुपये की है, जो दिखाती है कि केंद्र सरकार किसानों के हित में लगातार फैसले ले रही है। पीयूष गोयल ने जूट के उत्पादन पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा, “उत्पादन किसानों की रुचि और बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है। सरकार ने जूट को टिकाऊ उत्पाद के रूप में बढ़ावा देने और किसानों को उचित मूल्य देने की दिशा में कदम उठाए हैं।” उन्होंने कहा कि सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि जूट किसानों से एमएसपी पर खरीद हो। हालांकि, उत्पादन किसानों की प्राथमिकताओं और उनकी खेती के अन्य विकल्पों पर भी निर्भर करता है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को जारी रखने का फैसला
कैबिनेट बैठक में लिए गए एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) को अगले पांच वर्षों तक जारी रखने को मंजूरी दी गई। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले दस वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति हुई है। एनएचएम से जुड़े लगभग 12 लाख स्वास्थ्यकर्मी 2021-22 तक इस मिशन का हिस्सा बन चुके हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत केंद्र सरकार का उद्देश्य देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और सस्ता बनाना है। इस मिशन के जरिए लाखों स्वास्थ्यकर्मी देश के कोने-कोने में सेवा दे रहे हैं।
जूट किसानों के लिए क्या है खास?
केंद्र सरकार ने जूट किसानों को एमएसपी बढ़ाकर एक बड़ा तोहफा दिया है। जूट उद्योग में काम करने वाले किसानों और श्रमिकों को एमएसपी बढ़ने से न केवल उनकी आय में सुधार होगा, बल्कि जूट उत्पादन को बढ़ावा देने का भी मौका मिलेगा। इसके अलावा, जूट के टिकाऊ उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार ने किसानों को इस उद्योग में बने रहने और अधिक उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
सरकार की नीति और किसान हित
मोदी सरकार ने हमेशा से किसानों के हित में फैसले लेने की प्राथमिकता दी है। जूट के लिए एमएसपी में वृद्धि इसका एक और उदाहरण है। सरकार का कहना है कि वह लागत से 50% से अधिक का लाभ किसानों को दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि उत्पादन में वृद्धि के लिए किसानों को उनके अधिकारों और जरूरतों के आधार पर समर्थन दिया जाएगा। जूट के टिकाऊ उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
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