Student Suicide: राजस्थान के कोटा में जेईई की तैयारी कर रहे छात्र मनन जैन ने आत्महत्या कर ली। यह घटना बहुत ही दुखद है और इससे मनन जैन के परिवार और उनके आसपास के लोगों पर गहरा आघात पहुंचा है। एक मेहनती और ईमानदार छात्र का ऐसा कदम उठाना मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षिक दबाव के बीच के संबंध को उजागर करता है, खासकर कोटा जैसे बड़े शिक्षा केंद्रों में जहां लाखों छात्र अपनी मेहनत से बड़े सपनों को साकार करने की कोशिश कर रहे होते हैं।
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माता-पिता का इकलौता बेटा था
मृतक छात्र के मामा महावीर जैन ने कहा कि वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। वह आठवीं के बाद नौवीं क्लास की पढ़ाई के लिए कोटा आ गया था। वह पढ़ने में बहुत होशियार था। उसने यह कदम क्यों उठाया, यह पता नहीं चल पाया। बताया जा रहा है कि उसने कल आखिरी बार की थी। उसने इसके बारे में किसी से कोई चर्चा नहीं की। उसके मौसी का बेटा भी उसी के साथ रहता था। वह भी नहीं जानता कि उसने आत्महत्या क्यों की।
इस साल सुसाइड का चौथा मामला
पहला मामला : सात जनवरी को कोटा में सुसाइड का पहला मामला सामने आया था। हरियाणा के महेंद्रगढ़ निवासी नीरज जाट ने हॉस्टल में फंदा लगाकर सुसाइड किया था। वह कोटा में जेईई की तैयारी कर रहा था।
दूसरा मामला : आठ जनवरी को एमपी के गुना निवासी अभिषेक ने पंखे से लटककर जान दे दी थी। वह भी कोटा में जेईई की तैयारी कर रहा था।
तीसरा मामला : 16 जनवरी को ओडिशा निवासी अभिजीत गिरी ने पीजी के कमरे में पंखे से फंदा लगाकर अपनी जिंदगी समाप्त कर ली। गिरी जेईई की तैयारी कर रहा था।
चौथ मामला : 17 जनवरी को देर रात बूंदी जिले इंद्रगढ़ निवासी छात्र मनन जैन ने लटककर खुदकुशी कर ली। बताया जा रहा है कि नानी के घर पर रहकर इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था।
आत्महत्या ने खड़े किए सवाल
मनन की आत्महत्या ने यह सवाल खड़ा किया है कि कैसे मानसिक दबाव और अकेलेपन जैसे मुद्दों को बेहतर तरीके से पहचाना जा सकता है और कैसे छात्रों को मानसिक सहारा प्रदान किया जा सकता है, ताकि ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके। इस तरह के मामलों में परिवारों और शैक्षिक संस्थानों से संवेदनशीलता की आवश्यकता है, ताकि छात्रों की भावनात्मक स्थिति को समझा जा सके और सही समय पर सहायता प्रदान की जा सके।
समाज और मानसिक स्वास्थ्य
यह घटना हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को और अधिक उजागर करती है, खासकर उन छात्रों के लिए जो उच्च दबाव वाले शैक्षिक वातावरण में रहते हैं। कोटा जैसे शिक्षा केंद्रों में जहां लाखों छात्र अपनी कड़ी मेहनत से सपने साकार करने की कोशिश कर रहे होते हैं, वहां मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को अनदेखा करना खतरनाक साबित हो सकता है। इस प्रकार की घटनाओं से यह सीख मिलती है कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और उनके तनाव, दबाव और परेशानियों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
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