Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल से अपना नामांकन पत्र भरा, जो उनके राजनीतिक करियर के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। गांदरबल उनकी पारिवारिक सीट मानी जाती है, और वहां से चुनाव लड़ना उनके लिए एक प्रतिष्ठा का मामला है। दूसरी ओर, जम्मू में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता चंद्र मोहन शर्मा ने पार्टी से अलग होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। शर्मा का यह निर्णय भाजपा के लिए एक चुनौती साबित हो सकता है, खासकर जम्मू क्षेत्र में, जहां वे एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। उनका निर्दलीय चुनाव लड़ना भाजपा के वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है, जिससे चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में इस बार के चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण हैं, और राजनीतिक दलों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।
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उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल से पर्चा भरा
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को गांदरबल विधानसभा सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। यह सीट उमर अब्दुल्ला के लिए पारंपरिक रूप से महत्वपूर्ण है, और इस क्षेत्र में उनका गहरा जुड़ाव रहा है। उमर अब्दुल्ला जब अपना नामांकन दाखिल करने उत्तरी कश्मीर के गांदरबल पहुंचे, तो उनके साथ कई वरिष्ठ नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पार्टी कार्यकर्ता भी मौजूद थे। श्रीनगर से गांदरबल तक के इस सफर में उनके समर्थन में काफी संख्या में लोग शामिल हुए।
गांदरबल सीट पर एक बागी सहित छह उम्मीदवार चुनावी मैदान में
गांदरबल विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के एक बागी उम्मीदवार सहित कुल छह अन्य उम्मीदवार भी मैदान में उतरे हैं, जिससे यहां मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है। उमर अब्दुल्ला के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है, और उनकी उम्मीदवारी ने इस क्षेत्र में चुनावी माहौल को और गर्मा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उमर अब्दुल्ला मध्य कश्मीर की बडगाम सीट से भी विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
चंद्र मोहन शर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया ऐलान
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से निराश एडवोकेट चंद्र मोहन शर्मा ने भाजपा से अलग होकर एक नया राजनीतिक कदम उठाया है। उन्होंने बुधवार को घोषणा की कि वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे। यह निर्णय भाजपा के लिए एक चुनौती बन सकता है, खासकर क्योंकि शर्मा एक महत्वपूर्ण और अनुभवी नेता माने जाते हैं। उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने से वोटों का बंटवारा हो सकता है, जिससे भाजपा की स्थिति कमजोर हो सकती है। शर्मा के इस कदम ने चुनावी परिदृश्य को और जटिल बना दिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि इससे चुनावी परिणामों पर क्या असर पड़ता है।
90 सीटों पर 87.09 लाख मतदाता करेंगेे मताधिकार का प्रयोग
जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव तीन चरणों में आयोजित किए जाएंगे। चुनाव आयोग के अनुसार, इस चुनाव में 90 निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 87.09 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें 42.6 लाख महिलाएं शामिल हैं, जो चुनाव में एक महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखती हैं। इस बार चुनाव में पहली बार वोट देने वाले युवा मतदाताओं की संख्या 3.71 लाख है, जो चुनावी प्रक्रिया में एक नई ऊर्जा और दृष्टिकोण जोड़ेंगे। कुल मिलाकर, 20 से 29 वर्ष के बीच के 20.7 लाख युवा मतदाता हैं, जो चुनाव के परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इन युवाओं की सक्रिय भागीदारी से चुनाव का परिणाम प्रभावित हो सकता है और इससे चुनाव के मुद्दे भी युवाओं की प्राथमिकताओं के इर्द-गिर्द घूम सकते हैं।