Shyam Rajak: बिहार सरकार में पूर्व मंत्री रहे हैं श्याम रजक ने हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से इस्तीफा देने के बाद रविवार को जनता दल (यूनाइटेड) [जदयू] में शामिल हो गए। उन्होंने 22 अगस्त 2024 को राजद से इस्तीफा दिया था, जहां वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कार्यरत थे। जदयू में उनकी वापसी जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय कुमार झा द्वारा पार्टी की सदस्यता दिलाने के साथ हुई। श्याम रजक पहले भी जदयू के साथ जुड़े रहे थे और उन्होंने महत्वपूर्ण राजनीतिक भूमिका निभाई है। उनका फिर से जदयू में शामिल होना बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है, जो राज्य में आगामी राजनीतिक घटनाओं को प्रभावित कर सकता है।
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अगले साल लड़ सकते है विधानसभा चुनाव
श्याम रजक ने हाल ही में जनता दल (यूनाइटेड) [जदयू] में वापसी की है, पार्टी में शामिल होने के बाद एक बयान दिया। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी के लिए काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि वह 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में फुलवारी शरीफ सीट से चुनाव लड़ेंगे।
फुलवारी शरीफ सीट की ओर किया इशारा
श्याम रजक का यह बयान जदयू के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है और आगामी चुनावों में उनकी सक्रिय भागीदारी का संकेत देता है। फुलवारी शरीफ सीट से चुनाव लड़ने की उनकी मंशा इस क्षेत्र में उनके राजनीतिक प्रभाव और समर्थन को भी रेखांकित करती है। यह सीट उनकी राजनीतिक यात्रा में महत्वपूर्ण रही है, और उनकी उम्मीदवारी आगामी चुनावों में पार्टी की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकती है।
राजद में सिर्फ परिवारवाद चलता है
श्याम रजक ने जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल होने के बाद राष्ट्रीय जनता दल पर कड़ी आलोचना की। उन्होंने राजद पर आरोप लगाया कि यह एक परिवार की पार्टी बनकर रह गई है और इसमें केवल कुछ व्यक्तियों का ही बोलबाला है। उन्होंने राजद में अपने अनुभव को लेकर कहा, मैं शतरंज का शौकीन नहीं हूं, वहां सिर्फ मोहरे चलते हैं, वहां किसी भी कार्यकर्ता की नहीं चलती है।
राजद का समाजवाद अब भ्रष्टाचार
श्याम रजक ने यह भी स्पष्ट किया कि जदयू में शामिल होने के बाद वह पूरी तरह से पार्टी के दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी (जदयू) जो भी निर्णय लेगी, उसी के अनुरूप वह काम करेंगे। उनका यह बयान जदयू में उनकी भूमिका और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है। साथ ही, राजद पर की गई उनकी टिप्पणी से स्पष्ट होता है कि वे राजद के भीतर की राजनीति और कार्यकर्ताओं के साथ किए जाने वाले व्यवहार से असंतुष्ट थे।